रांची(RANCHI): अगर हम ये कहें कि झारखंड नशे की गिरफ्त में है तो गलत नहीं होगा. क्योंकि राज्य में साल दर साल नशे के कारोबार में भारी इजाफा हुआ है. झारखंड की राजधानी रांची में पांच साल में अफीम की खेती समेत अन्य नशा का कारोबार 100 फीसदी के पार पहुंच गया है. पुलिस-प्रशासन की सख्त कार्रवाई के बावजूद नशा का कारोबार रूक नहीं रहा है बल्कि और इजाफा ही हो रहा है. पुलिस-प्रशासन अभियान चलाकर अफीम की खेती को नष्ट कर रहे हैं इसके बावजूद रांची के सात थानों के दर्जनों गांव में खुलेआम अफीम की खेती होती है. इससे अंदाजा लगा सकते हैं नशे के कारोबार में रांची अब चतरा के बाद दूसरे स्थान पर आ गया है.
सरकारी जमीन पर होती है अफीम की खेती
बताया जाता है कि प्रशासन की सख्ती के बाद तस्करों ने अब अफीम की खेती का तरीका भी बदल लिया है. एक रिपोर्ट के अनुसार तस्कर रैयती जमीन को छोड़कर सरकारी जमीन पर अफीम की खेती कर रहे हैं. यानि कि 80 फीसदी से अधिक खेती अब सरकारी जमीन पर हो रही है. इसकी भनक पुलिस को भी नहीं मिलती है. पुलिस कार्रवाई भी करती है तो भी तस्कर पकड़ में नहीं आता है. बड़ी बात ये है कि कार्रवाई के दौरान नामजद एफआईआर तक नहीं होती है. कहा तो ये जा रहा है कि अफीम की खेती के लिए तस्कर हाइब्रिड बीज का उपयोग करता है, ताकि अधिक पैदावार हो सके. अफीम की खेती से जुड़े युवक ने कहा कि हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल होने से उत्पादन दोगुना होता है. समय भी कम लगता है और अच्छी इनकम भी होती है.
12 हजार रुपए में एक किलो हाइब्रिड बीज
कोरोबार को समझने वाले एक्सपर्ट के अनुसार अभी तस्कारों द्वारा ग्रामीणों को जो हाइब्रिड दिए जा रहे, उसकी कीमत 12 हजार रुपए प्रति किलो तक है. वहीं, सामान्य अफीम के बीज चार हजार से 10 हजार रुपये प्रति किलो है. अच्छी उपज के कारण अफीम उगाने वाले हाइब्रिड बीज ही बोते हैं. जानकारों के अनुसार सामान्य बीज से प्रतिएकड़ औसतन आठ से 10 किलो अफीम तैयार होता है जबकि हाइब्रिड बीज से प्रति एकड़ 15-20 किलो तक अफीम तैयार होता है।
दर्जनों पंचायात में लहलहा रही अफीम की फसल से पुलिस की उड़ी नींद
रांची अंतर्गत नामकुम के जाउलातु के सोगोद, रामपुर के बुदरी, बंधुआ, हुवांगहातु, लाली, हाहाप सहित जंगल से सटे दर्जनों पंचायत में लहलहा रही अफीम की फसल से पुलिस की नींद उड़ गई है. सख्ती के बावजूद कारोबार नहीं रूक रहा है. यही कारण है कि इस मामले को लेकर सीआईडी के डीजी ने बैठक कर नई रणनीति तैयार की है. जिस पर पुलिस ने काम करना शुरू कर दिया है. पुलिस नए तरीके से अफीम की खेती से जुड़े क्षेत्रों की मैपिंग कर ही है. जांच के तरीके बदले गए हैं. पुलिस अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार में झारखंड में करीब दो हजार एकड़ भूमि पर अफीम की खेती होती है और एक एकड़ फसल से औसतन 12 लाख रुपए की कमाई होती है।
धंधे में ज्यादा लोग हो रहे हैं शामिल
इन पांच साल में अफीम की खेती का दायरा काफी बढ़ गया है. ज्यादा से ज्यादा लोग इस धंधे में शामिल हो रहे हैं. लेकिन कहा ये भी जाता है कि ये धंधा पुलिस की मिलीभगत की वजह से ज्यादा फल-फूल रहा है. यही कारण है तमाम प्रयासों के बावजूद नहीं रूक रहा है. रिपोर्ट के अनुसार एफआईआर की संख्या बढ़ी है लेकिन कार्रवाई सिर्फ नाम के लिए होता है.
इन क्षेत्रों में ज्यादा होती है अफीम की खेती
रांची-खूंटी के सीमावर्ती क्षेत्र, खूंटी, चतरा, लातेहार, पलामू, हजारीबाग अफीम का कॉरिडोर बन गया है. वहीं, रांची जिले में नामकुम, तुपुदाना, बुंडू, तमाड़, दशमफॉल, नगड़ी, खरसीदाग आदि थाना क्षेत्र में भी अफीम बड़े पैमाने पर उगाये जाते हैं.
लापरवही बरतने वाले अधिकारियों पर होगी सख्त कार्रवाई: एसएसपी
इस मामले पर रांची के एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा ने कहा कि अफीम की खेती को रोकने के लिए हमने पूरी तैयारी कर ली है. अगर किसी थाना क्षेत्र में मामले सामने आता है तो थानेदारों को जवाबदेह बनाया जायेगा. लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. एसएसपी ने कहा कि अफीम की खेती को रोकने के लिए अभियान चलाया है. इसके बावजूद कई बार पुलिस को जानकारी नहीं मिलती है. सुदूरवर्ती क्षेत्रों में चोरी छिपे अफीम की खेती होती है. लेकिन इसे रोकने के लिए नई रणनीति तैयारी की है. जिसपर हम काम कर रहे हैं.
रिपोर्ट: संजीव ठाकुर