धनबाद(DHANBAD) : झारखंड और बिहार में कांग्रेस नया प्रयोग कर रही है. गुटबाजी कैसे खत्म की जाए, निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को कैसे सम्मान मिले, इसके लिए काम शुरू किया गया है. बिहार में 2025 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बड़ी चुनती है. दोनों प्रदेश के प्रभारियों को बदल कर आलाकमान ने सन्देश तो साफ-साफ़ दे दिया है. यह बात भी अब साफ़ होने लगी है कि पैराशूट नेताओं के दिन लदने वाले है. इधर झारखंड में यह सन्देश साफ़ हो गया है कि
कांग्रेस कोटे से झारखंड में मंत्रियों को अब संगठन से जुड़ना ही होगा.
विधायकों को भी संगठन के साथ मिलकर काम करना होगा
विधायकों को भी संगठन के साथ मिलकर काम करना होगा. दरअसल, झारखंड के मंत्री अभी तक यह साबित नहीं कर पा रहे थे कि वह पूरे प्रदेश के मंत्री है. अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर निकलते भी नहीं थे. निकलने की कोशिश भी नहीं करते थे, लेकिन अब मंत्रियो और विधायकों के लिए नया गाइड लाइन आ गया है. उन्हें अपना रिपोर्ट कार्ड देना होगा. मंत्रियों एवं विधायकों को संगठन की जवाबदेही लेनी होगी. झारखंड सरकार में शामिल कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों को प्रमंडल वार जिम्मेवारी दी जाएगी. विधायकों को दो-दो जिला में संगठन का काम देखना होगा.
रविवार को झारखंड में हुई है महत्वपूर्ण बैठक
रविवार को झारखंड के नवनियुक्त प्रभारी के राजू ने मंत्री और विधायकों के साथ बैठक की. बैठक के बाद उन्होंने कहा कि बैठक में संगठन को लेकर कई बिंदुओं पर चर्चा हुई. विधायकों को जिन दो जिलों का जिम्मा मिलेगा, उनमें जाकर हर महीने जिला कमेटी की बैठक में शामिल होना होगा. बैठक में जिले से संबंधित मुद्दों, संगठन के संबंध में, आम लोगों के मुद्दे पर वह चर्चा करनी होगी. विधायकों को एक वर्ष का कैलेंडर तैयार करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी कोशिश होगी कि झारखंड में भी जातीय जनगणना हो, उनकी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक स्थिति का पता लगाया जा सके. दरअसल, झारखंड और बिहार में कांग्रेस काम करने का तरीका बदलने की तरकीब पर काम कर रही है. बड़े छोटे नेता कैसे पार्टी से जुड़े, इसके उपाय किए जा रहे है.
बिहार-झारखंड के प्रदेश प्रभारियों को बदल दिया गया है
इसी तैयारी अभी हाल ही में कांग्रेस ने दोनों प्रदेशों को प्रभारी को बदल दिया है. और नई सोच, नए तरीके से काम करने वालों को प्रभारी बनाया गया है. जो मंत्री और विधायक संगठन से दूर रहा करते थे अब उन्हें अपनी कुर्सी बचाने के लिए संगठन से जुड़कर रहना होगा. इधर, झारखंड के नए कांग्रेस प्रदेश प्रभारी के राजू की प्रदेश में सक्रियता से न केवल कांग्रेस के नेताओं में हलचल है, बल्कि सियासत भी धीरे-धीरे गर्म होने लगी है. चाईबासा में के राजू ने कहा कि यह नहीं सोचना चाहिए कि दूसरी पार्टी उन्हें आगे लेकर जाएगी. उन्हें खुद इसके लिए जमीन तैयार करनी होगी. आदिवासी ,मूलवासी को कांग्रेस ही आगे लेकर जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड में झामुमो को सपोर्ट करें, लेकिन कांग्रेस की अपनी एक पहचान है. उस पहचान को आगे बढ़ाने की जरुरत है. उन्होंने आह्वान किया कि सभी को साथ लेकर सरकार और संगठन के बीच बेहतर तालमेल के साथ जनता से किए गए वादे को पूरा किया जाना चाहिए .
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो