रांची(RANCHI): हेमंत सरकार ने राज्य स्तरीय नियुक्ति परीक्षाओं से भोजपुर, मगही, अंगिका, विरहोर,असुर समेत सात भाषाओं को बाहर करने का फैसला किया है. जबकि हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी को शामिल करने का फैसला किया है. इसका असर मैट्रिक से लेकर स्नातक स्तरीय सभी परीक्षाओं पर पड़ेगा. अब मैट्रिक से स्नातक स्तर की सभी परीक्षाओं में कुल 15 भाषाएँ सूचीबद्ध रहेगी. अब तक जिला स्तर और राज्य स्तर की परीक्षाओं के लिए अलग-अलग सूची होती थी.
अब तक अलग-अलग जिलों के लिए अलग-अलग भाषायें सूचीबद्ध थी
यहां बता दें कि अब तक जिला स्तर की परीक्षाओं के लिए अलग-अलग जिलों में कुल 22 भाषायें और राज्य स्तर पर कुल 12 भाषाएं सूचीबद्ध थी. अब ये 15 भाषाएं राज्य स्तर पर मान्य होगी. इस प्रकार परीक्षार्थी अब किसी एक स्थानीय और किसी एक जनजातीय भाषा का चयन कर सकेंगे.
स्थानीय भाषा-संस्कृति और रीति रिवाज की जानकारी की बाध्यता समाप्त
इसके साथ ही सरकार ने स्थानीय भाषा-संस्कृति और रीति रिवाज जानने की बाध्यता को खत्म करने का भी फैसला लिया है. साथ ही राज्य से मैट्रिक और इंटर पास करने की बाध्यता को भी हटा दिया गया है.
60:40 के विरोध में छात्रों का विरोध
यहां बता दें कि राज्य सरकार की इस नीति का छात्रों और युवाओं के द्वारा विरोध किया जा रहा है, छात्र स्थानीय भाषा संस्कृति और परिवेश की जानकारी की हटाये जाने और इसके साथ ही 60:40 अनुपात को लेकर विरोध कर रहे हैं, यहां हम बता दें कि राज्य सरकार ने झारखंडी छात्रों के लिए 60 फीसदी सीट आरक्षित कर दिया है, जबकि शेष 40 सीटें किसी भी राज्य के अभ्यर्थियों के लिए खुला छोड़ दिया गया है. छात्रों की मांग 60:40 के नियम को खत्म करने की है. उनका मानना है कि 40 फीसदी सीटों को बाहरी उम्मीवारों के लिए खुला छोड़ना झारखंड के युवाओं के साथ हकमारी है.