धनबाद(DHANBAD): हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा है कि हरियाणा तो झांकी है, झारखंड अभी बाकी है. मतलब साफ है कि हरियाणा की हवा झारखंड पहुंच गई है.आगे और तेजी से पहुंचेगी. झारखंड में भाजपा का चुनाव प्रचार और तीखा होगा. नेताओं का जमघट लगेगा. चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमांता विश्व शरमा अब झारखंड में अधिक कैंप करेंगे. चुनाव की तिथि घोषित होने में भी अब ज्यादा वक्त नहीं है.
हरियाणा के रास्ते अब झारखंड, महाराष्ट्र में चुनाव की तैयारी
झारखंड सरकार अपनी उपलब्धियां को लेकर प्रचार प्रसार पर जोड़ दिए हुए हैं. अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग ताबड़तोड़ की जा रही है. हरियाणा के चुनाव प्रचार से निश्चित रूप से भाजपा उत्साहित होगी. हरियाणा को लेकर तमाम राजनीतिक पंडितों के आकलन को भाजपा ने खारिज कर दिया है. कांग्रेस की सभी रणनीति और समीकरण में बुरी तरह पलीता लगा दिया. 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में भाजपा को 48 सीटों का स्पष्ट बहुमत मिल गया है. कांग्रेस 37 सीटों पर ही सिमट गई. यह बात तो बिल्कुल तय है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी हरियाणा के चुनाव परिणाम से राहत की सांस ली होगी. हरियाणा के रास्ते अब झारखंड, महाराष्ट्र में चुनाव की बयान पहुंचेगी. दो महीने के भीतर इन दोनों राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं.
हरियाणा के चुनाव परिणाम से भाजपा में जोश
यह अलग बात है कि कश्मीर में गठबंधन ने भाजपा को धकेलते हुए सत्ता हासिल कर ली है. यह अलग बात है कि कश्मीर का चुनाव इंडिया गठबंधन को कितना मजबूती दे पाएगा, यह तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन हरियाणा के चुनाव परिणाम से भाजपा को निश्चित रूप से जबरदस्त टॉनिक मिली होगी. अब उत्साह से भारी भाजपा अपना पूरा दमखम झारखंड में लगाएगी.
बीजेपी झारखंड में किस रणनीति के तहत काम करेगी
हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा रेस होगी. वैसे तो भाजपा ने अभी से ही भारी भरकम फौज झारखंड में उतार दी है. लोकल नेताओं के अलावे बाहर से भी नेता लगातार कैंप कर रहे हैं. भाजपा झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ, आदिवासियों की घटती आबादी के मुद्दे पर आक्रामक है. यह अलग बात है कि हरियाणा की तरह ही झारखंड में भाजपा काम करेगी या कुछ बदलाव लाएगी,यह भी जल्द ही स्पष्ट हो जाएगा. हरियाणा में भाजपा लगभग दो दर्जन नए चेहरों के साथ चुनाव में उतरी थी. पहली सूची में ही भाजपा ने लगभग एक दर्जन विधायकों का टिकट काट दिया था. एक दो मंत्रियों का भी टिकट कटा था. जिन विधायक और मंत्रियों को लेकर एंटी इनकंबेंसी का खतरा था, उनका टिकट काट दिया गया था. अब देखना है कि बीजेपी झारखंड में क्या करती है .
झारखंड का चुनाव किस पैटर्न पर लड़ा जाएगा ये देखना होगा दिलचस्प
वैसे झारखंड मुक्ति मोर्चा भी ताकत के साथ लगा हुआ है. भाजपा के हर एक रणनीति की काट की तैयारी में झारखंड मुक्ति मोर्चा है. झारखंड का यह चुनाव इस बार एनडीए और इंडिया ब्लॉक के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड का चुनाव किस पैटर्न पर लड़ा जाता है .टिकट के बंटवारे में कौन सी रणनीति अपनाई जाती है. झारखंड में भाजपा नए उम्मीदवारों पर भरोसा करती है या फिर पुराने उम्मीदवारों के साथ ही चुनाव में उतरती है.