धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में प्रथम चरण का चुनाव हो गया है. दूसरे चरण का चुनाव 20 नवंबर को होगा और मतगणना 23 नवंबर को होगी. लेकिन राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि इस बार झारखंड में हंग असेंबली के आसार दिख रहे है. फिर तो जोड़-तोड़ की सरकार बनेगी. यह अलग बात है कि पिछली बार झामुमो को 30 कांग्रेस को 16 और राजद को एक सीट मिली थी. भाजपा को केवल 25 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. 2024 के चुनाव में ऐसा लग रहा है कि भाजपा की सीट बढ सकती है. लेकिन यह जादुई आंकड़े तक पहुंचेगी, इसमें संदेह माना जा रहा है. यह अलग बात है कि गठबंधन में 2024 के चुनाव में माले भी शामिल हो गया है और माले भी कुछ सीट गठबंधन को दे सकती है. बावजूद हालत हंग असेंबली की ओर बढ़ रहे है. फाइनल आंकड़ा तो 23 को ही मिल पाएगा. कहा जा रहा है कि कि कोल्हान में इस बार बीजेपी प्लस रह सकती है. तो पलामू प्रमंडल में भी कुछ इजाफा हो सकता है. कोयलांचल की सीटों पर भाजपा पिछले साल के रिकॉर्ड को बराबर कर सकती है.
सबकुछ अब निर्भर करेगा दूसरे चरण के मतदान पर
सब कुछ निर्भर करेगा संथाल परगना पर. पिछली बार संथाल परगना में भाजपा को चार सीट मिली थी. राजनीतिक पंडित यह मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस को झारखंड में 16 सीट मिलने में संदेह है. फिर तो जोड़-तोड़ शुरू हो सकता है. जोड़-तोड़ में कौन किसे पछाड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी. यह बात भी सच है कि अगर हंग असेंबली की स्थिति बनी तो जिनके पास अधिक सीट होंगी, वह आगे बढ़कर सरकार बनाने का प्रयास करेगा. फिर तो निर्दलीय और जेएलकेएम की पूछ बढ़ जाएगी. वैसे यह मानकर चला जा रहा है कि यह सिर्फ कयास हो सकता है. क्योंकि प्रथम चरण के चुनाव के बाद राजनीतिक पंडित भी किसी स्पष्ट स्थिति तक नहीं पहुंच पा रहे है. भाजपा ने चुनाव घोषणा के पहले से ही झारखंड को निशाने पर ले रखा था. झारखंड में तोड़फोड़ की राजनीति भी खूब हुई. चुनाव के चार दिन पहले तक बागियों को मनाने का प्रयास होता रहा. तोड़फोड़ भाजपा ने की तो झामुमो भी इसमें पीछे नहीं रहा. यह अलग बात है कि झारखंड गठन के बाद सिर्फ 2014 से लेकर 2019 तक ही पांच साल रघुवर दास मुख्यमंत्री रहे.
2019 से 2024 तक गठबंधन की सरकार जरूर रही लेकिन सीएम बदले
वैसे, कहने के लिए 2019 से 2024 तक गठबंधन की सरकार जरूर रही, लेकिन बीच में मुख्यमंत्री बदल गए. हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा, उस वक्त चंपाई दादा झारखंड के मुख्यमंत्री बने. लेकिन हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद वह फिर मुख्यमंत्री बन गए और उसके बाद तो चम्पाई दादा के साथ इतनी अधिक कड़वाहट हुई कि वह पार्टी ही छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. यह अलग बात है कि 2024 का झारखंड चुनाव भाजपा के अस्तित्व का भी सवाल है, तो गठबंधन भी इसे प्रतिष्ठा से जोड़कर काम किया है. अब सब कुछ दूसरे चरण के चुनाव पर निर्भर करेगा. संथाल परगना की सात आदिवासी सुरक्षित सीटों पर झामुमो एवं भाजपा के बीच सीधी लड़ाई है. लिट्टीपाड़ा, शिकारी पाड़ा , बोरिया, बरहेट, महेशपुर, जामा एवं दुमका आदिवासी सुरक्षित सीट है. यहां आमने-सामने की टक्कर हो रही है.
संथाल परगना में चार सामान्य सीट पर झामुमो ने दिया है उम्मीदवार
संथाल परगना में आदिवासी सीटों के अलावा चार सामान्य सीट पर झामुमो ने प्रत्याशी दिए है. वहां भी मुकाबला भाजपा से है. इन सीटों में नाला, मधुपुर, सारठ और राजमहल शामिल है. फिलहाल इन चार सामान्य सीटों में दो पर झामुमो का कब्जा है. संथाल परगना की 5 सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है. चार में भाजपा से मुकाबला है. आलमगीर आलम की पाकुड़ सीट पर कांग्रेस और आजसू में लड़ाई है. आलमगीर आलम फिलहाल जेल में है. कांग्रेस ने उनकी पत्नी को उम्मीदवार बनाया है. संथाल परगना में कुल 18 सीटें है. संथाल में 2019 में भाजपा को चार सीट मिली थी. वहीं झामुमो समेत गैर भाजपा दलों को 14 सीट जीतने में सफलता मिली थी. यहां यह बात भी कहना गलत नहीं होगा कि 2019 के चुनाव में झारखंड विकास मोर्चा भी मैदान में था. अब इसका विलय भाजपा में हो गया है, तो जेएलकेएम का भी उदय हुआ है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो