धनबाद(DHANBAD) : साल 2025 में झारखंड ईडी की नजरे धनबाद पर टेढ़ी होती दिख रही है. अलग-अलग एजेंसियो के पास दर्ज मामलो को ईडी अपने हाथों में ले रही है. ईडी ने इस साल का दूसरा मामला भी धनबाद में हुई गड़बड़ी को लेकर दर्ज किया है. पहला मामला भी धनबाद के खाते में गया था. स्वास्थ्य विभाग में हुई गड़बड़ी को लेकर पहला मामला दर्ज किया गया था. जिसमें प्रमोद सिंह,दो पूर्व सिविल सर्जन सहित 9 लोगों को आरोपी बनाया गया था. दूसरा मामला भी धनबाद के मामले को लेकर दर्ज किया गया है. यह मामला बीसीसीएल से जुड़ा हुआ है. बीसीसीएल के कुइयां ओपन कास्ट प्रोजेक्ट में हुए 22.16 करोड रुपए के फर्जीवाड़े को लेकर ईडी ने तत्कालीन जीएम समेत आठ लोगों पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस किया है. इस मामले को लेकर सीबीआई की धनबाद ब्रांच ने 2019 में केस दर्ज किया था. अब ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केस दर्ज किया है.
2015 से 18 के बीच की गई थी गड़बड़ी
आरोप के मुताबिक 2015 से 18 के बीच बीसीसीएल के बड़े अधिकारियों ने मापी बुक रिकॉर्ड और बिल में गलत एंट्री कर अधिक ओवरबर्डेन का उठाव दिखाए. इसे बीसीसीएल को 22.16 करोड रुपए का नुकसान हुआ. अधिकारियों ने एक कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब किया. इस गड़बड़ी का खुलासा सीएमपीडीआईएल, कोल इंडिया, बीसीसीएल के सतर्कता विभाग के अधिकारियों की एक टीम की संयुक्त औचक निरीक्षण से हुआ था. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बीसीसीएल बस्ताकोला क्षेत्र के तत्कालीन महाप्रबंधक फूल कुमार दुबे, अपर महाप्रबंधक अरविंद कुमार झा, पूर्व सर्वेक्षण अधिकारी मृत्युंजय कुमार सिंह, तत्कालीन परियोजना पदाधिकारी विष्णु कांत झा, पूर्व कोलियरी प्रबंधक निमाई चंद्र घोष सहित अन्य पर मुकदमा किया है.
लाभ लेने वाली कंपनी भी बनाई गई है आरोपी
आरोप के मुताबिक कोयला अधिकारियो ने एटी लिब्रा बीपीएल कंपनी को लाभ पहुंचने के लिए यह सब किया था. जिस कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए यह सब खेल खेला गया, वह भी आरोपी बनी है. झारखंड प्रवर्तन निदेशालय का मनी लाउंड्रिंग का इस साल का पहला केस भी धनबाद के खाते में गया था. यह गड़बड़ी 7 करोड़ रुपए का था. इस घोटाले का "किंगपिन" प्रमोद सिंह है. प्रमोद सिंह के घर पर पहले भी छापेमारी हो चुकी है. अब इस घोटाले में धनबाद के दो पूर्व सिविल सर्जन सहित नौ लोगों को आरोपी बनाया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने एसीबी में चल रहे मामले के आधार पर आरोपियों पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. घोटाला कर अवैध कमाई से खरीदी गई चल-अचल संपत्ति को ईडी अटैच कर सकती है. कहा जाता है कि धनबाद के तत्कालीन दोनों सिविल सर्जन की अनदेखी की वजह से झरिया सह जोड़ापोखर स्वास्थ्य केंद्र में लगभग 7 करोड रुपए का एनआरएचएम में बड़ा घोटाला हुआ था.
पहला मामला एनआरएचएम में सात करोड़ घोटाले का दर्ज हुआ था
यह घोटाला 2016 में सामने आया था. 3 साल बाद धनबाद थाना में जनवरी 2019 में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. बाद में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा लगने के कारण मामला एसीबी में चला गया. अब ईडी में मनी लाउंड्रिंग का केस किया है. बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय का बिहार में बालू की हेराफेरी की जांच के लिए धनबाद में पहली बार प्रवेश हुआ था. धनबाद में रहकर बालू का कारोबार करने वाले कई लोग प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर आये. उनकी गिरफ्तारी भी हुई. यह सब कार्रवाई पटना के प्रवर्तन निदेशालय ने की थी. लेकिन उसके बाद रांची की प्रवर्तन निदेशालय की टीम का धनबाद में प्रवेश हुआ और प्रमोद सिंह प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर आ गए. प्रवर्तन निदेशालय ने प्रमोद सिंह और उनके परिजनों की 1.63 करोड रुपए की अचल संपत्ति प्रोविजनल तौर पर जब्त कर ली थी. प्रमोद सिंह कोयला का कारोबार भी करता है. वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा पर ब्लॉक एकाउंट मैनेजर के पद पर कार्यरत था .
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो