रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार एक बड़ा रसूख रखता है. झारखंड आंदोलन से राजनीति की शुरुआत करने वाले शिबू सोरेन का रसूख झारखंड में अलग है. झारखंड में गुरूजी या दिशोम गुरु के नाम से भी इन्हें जानते हैं. इसके अलावा गुरूजी के बेटे हेमंत सोरेन और फिर अब कल्पना सोरेन शिबू सोरेन के राजनैतिक कारवां को आगे लेकर बढ़ रहे हैं. इस परिवार का बड़ा योगदान झारखंड को अलग पहचान दिलाने में हैं. इससे साफ़ है कि राजनीति में इनका वर्चस्व कितना है. झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड की क्षेत्रीय पार्टी है और इसके मुखिया शिबू सोरेन हैं, जो राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी भी संभाल चुके हैं.
राजनीति की बात करें तो गुरूजी के परिवार का बड़ा वर्चस्व झारखंड में है. ख़ासकर संथाल परगना प्रमंडल और कोल्हान में झारखंड मुक्ति मोर्चा एक अलग पायदान पर रहती है. इसके पीछे वजह है कि शुरू से ही झामुमो जल, जंगल, जमीन के साथ-साथ स्थानीय निति, 1932 खतियान की बात मुखर हो कर उठाती है. झारखंड की सेंटीमेंट से जुड़े मुद्दे पर हमेशा इस परिवार ने बेबाकी से आवाज़ उठाया है. इसका फल भी जनता ने 2019 के विधानसभा चुनाव में दिया. राज्य की गद्दी पर जनता ने हेमंत सोरेन को बैठाया है.
अगर देखें तो गुरु के परिवार से अब तक दो मुख्यमंत्री बने. पहले झामुमो के मुखिया शिबू सोरेन और उनके बाद उनके बेटे हेमंत सोरेन राज्य के सिंघासन पर बैठ चुके हैं. दोनों का वर्स्चव भी झारखंड की राजनीति में खूब है. तभी तो मोदी लहर में भी राज्य में भाजपा की सरकार हटा कर खुद को स्थापित कर दिया. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 2019 का विधानसभा चुनाव हुआ और परिणाम चौंकाने वाला सामने आया. जिससे राज्य को एक युवा मुख्यमंत्री मिला. पांच साल तक बड़े ही बेहतर तरीके से हेमंत ने सत्ता को चलाया. हालांकि, बीच में कुछ महीनों के लिए झामुमो ने चंपाई सोरेन को राज्य की बागडोर सौंप दिया था. लेकिन फिर वापस से हेमंत मुख्यमंत्री बन गए.
जब हेमंत मुख्यमंत्री पद से कुछ दिन के लिए हटे तो राज्य को इस परिवार ने एक नया नेता दे दिया. हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन राज्य में झामुमो की कमान संभाल कर पार्टी को आगे लेकर गई. बाद में उपचुनाव लड़ कर पहली बार विधानसभा पहुंची और इसके बाद एक अलग अंदाज में पूरा खेल ही बदल दिया. झारखंड को कल्पना सोरेन के रूप में एक लोकप्रिय महिला नेत्री मिल गई. ऐसे में देखें तो सोरेन परिवार का रसूख और वर्स्चव झारखंड में सबसे अधिक माना जाता है.
रिपोर्ट: समीर हुसैन