गिरिडीह (GIRIDIH): डुमरी विधानसभा सीट के लिए चुनाव 20 नवंबर को संपन्न होने के बाद अब चौक-चौराहों में प्रत्याशियों के हार-जीत का चर्चा शुरू हो गया है. इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ता जहां अपने उम्मीदवार बेबी देवी की जीत का प्रबल दावा कर रहे हैं तो वहीं एनडीए के कार्यकर्ता अपने गठबंधन की प्रत्याशी यशोदा देवी की जीत का दावा कर रहे हैं. दूसरी तरफ युवाओं के रोल मॉडल जेएलकेएम (JLKM) प्रत्याशी जयराम महतो के कार्यकर्ता भी अपनी जीत का ताल ठोक रहे हैं. वहीं, तीनों उम्मीदवार भी अपनी-अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं.
अब देखना होगा कि 23 नवंबर को किसके सिर जीत का सेहरा बंधता है. विधानसभा क्षेत्र के कुल 3 लाख 16 हजार 248 मतदाताओं में लगभग 71 प्रतिशत यानी कि करीब 2 लाख 15 हजार मतदाताओं ने अपने मतों का प्रयोग किया है. हालांकि, जिस तरह से चुनाव आयोग ने चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए हर एक बूथों में वेब कैमरा और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी उसका परिणाम यह हुआ कि ग्रामीण व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. वहीं, इसमें चुनाव आयोग के साथ-साथ चुनाव कार्य में लगे पुलिस प्रशासन की भी बड़ी भूमिका रही.
प्रत्याशियों व उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के दावे कि बात करें तो एनडीए में भीतरघात हुआ हो तो वोट इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार व जेएलकेएम प्रत्याशी के पक्ष में जा सकते हैं. वहीं यदि इंडिया गठबंधन में भीतरघात हुआ होगा तो वोट जेएलकेएम प्रत्याशी और एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में जा सकते हैं. जबकि राजमो उम्मीदवार अब्दुल मोबिन रिजवी ने यदि अपनी जाति के वोट में सेंधमारी की होगी तो परिणाम कुछ उलट भी हो सकते हैं.
भीतरघातियों ने यदि अपनी छल,प्रपंच और दिखावे वाली चाल चली होगी तो खेला होवे खेला होवे वाली पंक्ति उपरोक्त प्रमुख उम्मीदवारों पर सटीक बैठ जाएगी. हालांकि, जिस तरह तीनों उम्मीदवारों ने चुनावी सभा और प्रचार-प्रसार किया उससे भी चुनाव दिलचस्प और कांटें की टक्कर वाली हो गई है. ऐसे में चुनाव परिणाम में जीत का सेहरा जिसके सिर भी बंधेगा एक बात तो तय है कि हार-जीत में वोटों का अंतर ज्यादा नहीं होगा.
रिपोर्ट: दिनेश कुमार रजक