धनबाद(DHANBAD) : झारखंड विधानसभा में कांग्रेस अपने 2019 के परफॉर्मेंस को दोहरा पाएगी? यह सवाल अब धीरे-धीरे बड़ा होने लगा है. अगर कांग्रेस 2019 के परफॉर्मेंस को नहीं दोहरा पाती है तो फिर क्या होगा? क्या सरकार बनाने में राजद और माले की बड़ी भूमिका हो जाएगी? गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा इस बार 43 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है. 30 पर कांग्रेस उम्मीदवार खड़े है. सात पर राजद के प्रत्याशी हैं, तो चार पर माले तकदीर आजमा रहा है. बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, तीन सीटों पर फ्रेंडली फाइट भी हो रहा है. राजधनवार, विश्रामपुर और छतरपुर सीटों पर फ्रेंडली फाइट हो रहा है. इस बार के चुनाव में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बल्कि राजद और माले के प्रदर्शन पर भी सबकी निगाहें टिक रही है.
राजद 7 सीटों पर तो माले के पास चार सीट है
राजद 7 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, वहीं माले के पास चार सीट है. इन दोनों के पास गठबंधन की 11 सीट है. इन सीटों पर अगर बेहतर प्रदर्शन हुआ तो इंडिया गठबंधन की राह आसान हो सकती है. इंडिया गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर भी खूब खींचतान चली. 2019 के चुनाव में कांग्रेस 16 सीट जीतकर आई थी. बाद में प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इस बार अगर कांग्रेस की सीटों की संख्या घटी तो पार्टी की किरकिरी तो होगी ही, कई बड़े नेता सवालों के घेरे में फंस सकते है. कांग्रेस के प्रत्याशी अपने-अपने स्तर से लगे हुए है. समीकरण को साधने का प्रयास कर रहे है. नाराज लोगों से निपटना कठिन हो रहा है. उनके मन में भी कई तरह की बातें है.
कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में भी विलंब किया
कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में भी विलंब किया. पहली सूची में 21 प्रत्याशियों के नाम आये. उसके बाद अंतिम-अंतिम समय में फैसला लेने में विलंब किया गया. नामांकन के सिर्फ एक दिन पहले रात को धनबाद और बोकारो सीट पर प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए. प्रत्याशियों ने जल्द बाजी में नामांकन किया. नाराज लोगों की संख्या सिर्फ भाजपा में ही नहीं है, बल्कि कांग्रेस में भी यह संख्या कम नहीं है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा दांव पर फंसी हुई है. कई सीटों पर बागी मानने को तैयार नहीं है. देखना दिलचस्प होगा कि सरकार बनाने में कांग्रेस की क्या भूमिका रहेगी. जेकेएलएम भी इस बार सरकार बनाने में भूमिका निभा सकता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो