धनबाद(DHANBAD): झारखंड में विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए महत्वपूर्ण दिख रहा है तो इंडिया गठबंधन के लिए भी इस राज्य में इस साल का चुनाव प्रतिष्ठा से जुड़ गया है. सरकार अभी इंडिया गठबंधन की चल रही है. भाजपा के चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी के दौरों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 20 जुलाई को रांची पहुंच रहे हैं. वह झारखंड के 26000 कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद करेंगे. कार्यकर्ताओं में जोश भरेंगे. लोकसभा चुनाव में जो सांसद विजय हुए हैं, उनका अभिनंदन करेंगे. मतलब इस बार भाजपा कार्यकर्ताओं में जोश भरने पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं. इसकी संभावना तो व्यक्त की ही जा रही है कि झारखंड में इस बार विधानसभा के चुनाव में कड़ी टक्कर होगी. यह बात अलग है कि सीटों का बंटवारा इस बार भाजपा के लिए भी और इंडिया ब्लॉक के लिए भी आसान नहीं होगा.
सरयू राय जदयू के साथ मिलकर लड़ेंगे चुनाव
झारखंड में जदयू भी अपना पैर जमाने की कोशिश करेगा, तो इंडिया ब्लॉक में भी कई छोटी बड़ी पार्टियां जुड़ेगी. इससे टिकट बंटवारे को लेकर माथा पच्ची करनी होगी. झारखंड के चर्चित विधायक सरयू राय ने संकेत दे दिया है कि या तो वह जदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे या अपनी पार्टी का विलय जदयू में कर देंगे. ऐसे में भाजपा, आजसू और जदयू में गठबंधन हो सकता है. फिर सीटों के बंटवारे में भी पेंच फंस सकती है.
सीट शेयरिंग को लेकर फॉर्मूले पर मंथन जारी
इंडिया ब्लॉक में भी अभी तक मिल रहे संकेतों के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राजद, वाम दल के साथ-साथ कुछ और छोटे राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन हो सकता है. इंडिया ब्लॉक का कुनबा बड़ा हो सकता है. फिर हिस्सेदारी के लिए माथा पच्ची हो सकती है. वैसे सीट शेयरिंग को लेकर फॉर्मूले पर मंथन जारी है. मतलब साफ है कि 2019 की सीट शेयरिंग का फार्मूला 2024 में नहीं चलेगा. सीट शेयरिंग के फार्मूले में बदलाव और सीटों के अदला-बदली की बातों से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
5 वर्षों में झारखंड की राजनीति अलग-अलग ढंग से बदली है. इसका नतीजा टिकट बंटवारे पर भी पड़ सकता है .लगभग ऐसा ही कुछ एनडीए में भी हो सकता है. जदयू के आने से सीट शेयरिंग का नए ढंग से फार्मूला तय करना होगा .सीटों की अदला बदली भी हो सकती है.
इंडिया ब्लॉक और भाजपा एक दूसरे पर लगा रहे आरोप-प्रत्यारोप
इधर, इंडिया ब्लॉक और भाजपा के नेताओं की वाणी तीखी होती जा रही है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि भाजपा के नेता आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से घबराते हैं. राज्य के मदरसे को लेकर भाजपा के नेता जहर घोल रहे हैं .जबकि सबसे अधिक मदरसे भाजपा शासित राज्यों में संचालित होते हैं. इधर ,भाजपा का कहना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और हेमंत सरकार में बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को खास दर्जा प्राप्त है. उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद राज्य सरकार घुसपैठियों को चिन्हित कर बाहर निकालने का ठोस कदम नहीं उठा रही है. इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में शपथ पत्र भी डीसी की जगह कनीय अधिकारी दे रहे हैं .इससे साफ दिखता है कि घुस पैठियो के मुद्दे पर राज्य सरकार तुष्टिकरण की आग में अंधी हो गई है. चुनाव है तो आरोप प्रत्यारोप तो चलते रहेंगे. लेकिन इतना तो तय है कि एनडीए और इंडिया ब्लॉक झारखंड में नए फार्मूले पर चुनाव लड़ेगा और इस नए फार्मूले को तैयार करना बहुत आसान भी नहीं होगा. वैसे चुनाव के पहले कुछ लोग इधर जाएंगे तो कुछ लोग उधर से आएंगे. यह क्रम टिकट बंटवारे तक चलता रहेगा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो