धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में क्या कांग्रेस लोकसभा की गलतियों को दुहरा रही है? क्या उम्मीदवारों की घोषणा में "नागपाश" वाला पेंच फंसा है? क्या प्रदेश में कोई संशोधन होगा ? क्या आलाकमान खुद की फीडबैक पर आगे निर्णय लेगा? जिन सीटों पर शुक्रवार को नामांकन की अंतिम तिथि है, वहां के उम्मीदवार क्या करेंगे? ऐसे दर्जनों सवाल है जो कार्यकर्ताओं को मथ रहे है. झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने खबर लिखे जाने तक 7 सीटों को होल्ड पर रखा है. इन सीटों में कुछ तो ऐसी है, जिनके नामांकन की तिथि 25 अक्टूबर को खत्म हो रही है. पाकुड़, धनबाद,बोकारो सहित सात सीट फंसी हुई है. यह अलग बात है कि धनबाद और बोकारो में वोटिंग दूसरे चरण में होगी. धनबाद सीट को लेकर कई तरह की बातें हवा में तैर रही है. कहा जा रहा है कि "पैराशूट" दावेदारों की वजह से धनबाद सहित अन्य सीट फंसी हुई है.
यह भी सूचना मिल रही है कि पाकुड़ में पार्टी निर्णय नहीं कर पा रही है कि आलमगीर आलम को ही चुनाव लड़ाया जाए या उनकी पत्नी अथवा बेटे को. यह भी चर्चा है कि आलमगीर आलम की पत्नी ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. ऐसे में पाकुड़ सीट से पार्टी किसे उम्मीदवार बनाती है, यह देखने वाली बात होगी. हो सकता है कि पाकुड़ से आलमगीर आलम को ही पार्टी उम्मीदवार बना दे. आलमगीर आलम फिलहाल जेल में है. धनबाद सीट को लेकर कई नाम की चर्चा है. उन चर्चाओं में अशोक सिंह,अभिजीत राज, मयूर शेखर झा, विजय कुमार सिंह, रवि चौधरी जैसे कई नाम है. यह भी कहा जाता है कि धनबाद सीट पर अल्पसंख्यकों का डिमांड है. बोकारो की वजह से भी धनबाद सीट फंसी हुई बताई जा रही है. सवाल उठता है कि क्या लोकसभा की तरह विधानसभा में भी कांग्रेस "आत्मघाती" कदम उठाएगी. लोकसभा चुनाव में भी "पैराशूट' उम्मीदवार पर कांग्रेस ने भरोसा किया था. नतीजा सबके सामने है. वैसे भी भाजपा की ओर से उम्मीदवार चुनाव प्रचार शुरू कर दिए है. लेकिन कांग्रेस ने अभी तक प्रत्याशियों तक की घोषणा नहीं की है.
यह अलग बात है कि जिन उम्मीदवारों की चर्चा चल रही है, कुछ ऐसे हैं, जो चुनाव के वक्त ही धनबाद में दिखते है. ऐसे लोगों में अजय कुमार दुबे और मयूर शेखर झा के नाम कार्यकर्ता गिना रहे है. यह अलग बात है कि अजय कुमार दुबे ने धनबाद से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. लेकिन उसके बाद वह धनबाद में कभी-कभार ही नजर आते है. वह अभी जब पार्टी का कोई बड़ा कार्यक्रम होता है. वही स्थिति मयूर शेखर झा के बारे में भी कहीं जा रही है. कार्यकर्ता कहते हैं कि पार्टी के आयोजनों में रवि चौधरी की भी सक्रियता ना के बराबर होती है. धनबाद के कांग्रेस के कार्यकर्ता कहते हैं कि पार्टी किसी वैसे दावेदार को प्रत्याशी बनाए, जो हर वक्त कार्यकर्ताओं के बीच रहता हो. उनके दुख-सुख में शामिल रहता हो. वैसे भी हरियाणा में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त किरकिरी हो चुकी है. झारखंड में भी कहीं यही स्थिति ना हो जाए, समर्पित कार्यकर्ता को यही चिंतित और बेचैन किये हुए है.