धनबाद(DHANBAD): झरिया की भूमिगत आग और विस्थापन की समस्या पर अब प्रधानमंत्री कार्यालय की नजर गई है. जानकारी के अनुसार पीएमओ के अधिकारी बगैर किसी सूचना दिए धनबाद पहुंचे. अग्नि प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया. भारत कोकिंग कोल लिमिटेड और जरेडा के अधिकारियों के साथ बैठक की. हालांकि, उन्होंने क्या देखा, इसको लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन पीएमओ के उपसचिव स्तर के अधिकारी के दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. झरिया मास्टर प्लान तो अभी तक चू चू का मुरब्बा बना हुआ है. बरसात का मौसम है, ऐसे में झरिया में धसान का खतरा बढ़ जाता है. जमीन फट भी रही है,जहरीली गैस निकल रही है. लोग पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन संशोधित झरिया मास्टर प्लान को अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है. संशोधित झरिया मास्टर प्लान के तहत कुल 1.04 लाख प्रभावित इलाके में रहने वाले लोगों को पुनर्वासित किया जाना है. इनमें करीब 32,000 रैयत है और 72,000 के आसपास गैर रैयत है. रैयतों के पुनर्वास के लिए आर्थिक पैकेज तैयार कर लिया गया है. संशोधित प्लान को स्वीकृति मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा.
पीएमओ के उपसचिव का दौरा पूरी तरह से झरिया पुनर्वास पर ही केंद्रित था
पीएमओ के उपसचिव का दौरा पूरी तरह से झरिया पुनर्वास पर ही केंद्रित था. संशोधित मास्टर प्लान को कैबिनेट से मंजूरी पहले लोकसभा चुनाव को लेकर नहीं मिली, लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि विधानसभा चुनाव के पहले इसे स्वीकृति मिल सकती है. उप सचिव ने कम से कम आधा दर्जन अग्नि प्रभावित खतरनाक इलाकों का दौरा किया. जो भी हो, लेकिन झरिया मास्टर प्लान को स्वीकृति नहीं मिलने से पुनर्वास का काम जहां-तहां रुका पड़ा है. वैसे भी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कुछ सक्रियता आई है, और उम्मीद की जानी चाहिए कि आचार संहिता लागू होने के पहले संशोधित झरिया मास्टर प्लान को कैबिनेट से स्वीकृति मिल जा सकती है.104 साल से इंतजार करते-करते झरिया की सुलगती भूमिगत आग,अब "धधकने" लगी है.1919 में झरिया के भौरा में भूमिगत आग का पता चला था.यह भूमिगत आग अब "कातिल" हो गई है. वैसे पिछले 25 सालों से वह संकेत दे रही है कि हालात बिगड़ने वाले हैं. लेकिन जमीन पर ठोस काम करने के बजाए हवाबाजी होती रही. नतीजा सामने है. झरिया के घनुडीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान आग से फटी जमीन के भीतर गिर गया था. कड़ी मेहनत के बाद 210 डिग्री तापमान के बीच से शरीर का अवशेष ही बाहर निकल सका. .
झरिया की आग 1995 से ही ख़तरनाक होने का संकेत दे रही है
झरिया की यह आग 1995 से ही संकेत दे रही है कि अब उसकी अनदेखी खतरनाक होगी. 1995 में झरिया चौथाई कुल्ही में पानी भरने जाने के दौरान युवती जमींदोज हो गई थी. 24 मई 2017 को इंदिरा चौक के पास बबलू खान और उसका बेटा रहीम जमीन में समा गए थे. इस घटना ने भी रांची से लेकर दिल्ली तक शोर मचाया ,लेकिन परिणाम निकला शून्य बटा सन्नाटा. 2006 में शिमला बहाल में खाना खा रही महिला जमीन में समा गई थी. 2020 में इंडस्ट्रीज कोलियरी में शौच के लिए जा रही महिला जमींदोज हो गई थी. फिर इधर 28 जुलाई 2023 को घनुड़ीह का रहने वाला परमेश्वर चौहान गोफ में चला गया. पहले तो बीसीसीएल प्रबंधन घटना से इंकार करता रहा लेकिन जब मांस जलने की दुर्गंध बाहर आने लगी तो झरिया सीओ की पहल पर NDRF की टीम को बुलाया गया. टीम ने कड़ी मेहनत कर 210 डिग्री तापमान के बीच से परमेश्वर चौहान के शव का अवशेष निकाला.
रिपोर्ट : धनबाद ब्यूरो