दुमका(DUMKA):शारदीय नवरात्र के उत्सवी माहौल के बीच झारखंड विधानसभा चुनाव की तिथि का एलान कभी भी हो सकता है. तमाम राजनीतिक दल अपनी तैयारी को अंतिम रूप देने में लगा है. दुमका जिला के जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में भी राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है. जिले का एक मात्र विधान सभा जरमुंडी है जो अनारक्षित है.यहां के मतदाता काफी सजग हैं. राष्ट्रीय पार्टी हो या क्षेत्रीय दल या फिर हो निर्दलीय, यहां की जनता बारी बारी से सबको मौका देती है.फिलहाल कांग्रेस से बादल पत्रलेख यहां के विधायक हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या बादल जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या फिर अलग राज्य बनने के बाद पहली बार कमल खिलेगा या फिर कोई निर्दलीय बाजी मार जाएगा?
दुमका, देवघर और गोड्डा से जुड़ा है जरमुंडी विधानसभा
फौजदारी बाबा बासुकीनाथ की स्थली जरमुंडी दुमका जिला का एक प्रखंड है, जबकि जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र में दुमका का जरमुंडी और देवघर जिला का सारवां प्रखंड आता है.वहीं जरमुंडी विधान सभा गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में आता है.यही वजह है कि इस विधानसभा पर दुमका, देवघर और गोड्डा के लोगों की नजरें टिकी होती है. तमाम दलों में इस सीट पर टिकट के दावेदारों की संख्या काफी होती है.
1962 से 2019 के बीच 6 बार निर्दलीय को जनता ने चुना अपना प्रतिनिधि
जरमुंडी विधानसभा का इतिहास देखें 1952 में विधानसभा के प्रथम चुनाव में पोड़ैयाहाट सह जरमुंडी विधान सभा क्षेत्र के नाम से यह जाना जाता था.जहां से दो सदस्यों के चुनाव किए जाने का प्रावधान था.प्रथम चुनाव में अनुसूचित जनजाति सीट से झापा के चुनका हेंब्रम और सामान्य सीट से जगदीश नारायण मंडल विधायक चुने गए। 1957 में जरमुंडी को दुमका विधानसभा क्षेत्र से जोड़ा गया.दो विधायक चुने का प्रावधान किया गया. इस चुनाव में अनुसूचित जनजाति से झारखंड पार्टी के टिकट पर बेंजामिन हांसदा और सामान्य सीट से सनात राउत विधायक चुने गए. 1962 में जरमुंडी स्वतंत्र विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया.1962 से 2019 के बीच जरमुंडी में विधानसभा के कुल 14 चुनाव संपन्न हुए.जिसमें 6 बार निर्दलीय, 5 बार कांग्रेस, दो बार भाजपा और एक बार झामुमो के प्रत्याशी इस सीट से विधायक चुने गए.देवेंद्र कुंवर 1995 में झामुमो और 2000 में भाजपा के टिकट पर लगातार दो बार यहां से विजय घोषित किए गए.जबकि हरि नारायण राय 2005 और 2009 में बतौर निर्दलीय विधायक चुने गए.वहीं कांग्रेस के टिकट पर 2014 और 2019 में लगातार दो बार वर्तमान विधायक बादल पत्र लेख को इस क्षेत्र की जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना.
कांग्रेस विधायक रहने के बाबजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा को मिली लीड
2024 के जून में संपन्न गोड्डा लोकसभा के चुनाव परिणाम को देखें तो जरमुंडी क्षेत्र की जनता ने भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को 1,07,082 जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप यादव को 62,484 मत प्राप्त हुए.इस तरह निशिकांत दुबे के पक्ष में 44,398 अधिक वोट देकर जनता ने चौथी बार उन्हें अपना सांसद चुन लिया.लोकसभा चुनाव परिणाम के आंकड़े विधायक बादल पत्रलेख को मुश्किल में डाल दिया है.
बादल लगा पाएंगे हैट्रिक या अलग राज्य के बाद पहली बार यहां खिलेगा कमल
गोड्डा लोक सभा चुनाव परिणाम देख कर यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या बादल पत्रलेख जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे या अलग झारखंड राज्य बनने के बाद पहली बार जरमुंडी में कमल खिलेगा! लगभग 4 बर्षों तक कृषि मंत्री रहने वाले बादल पत्रलेख को लोकसभा चुनाव के बाद गठित मंत्रिमंडल में बादल को स्थान नहीं मिला. बादल के बदले दीपिका पांडेय सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया. अब बादल को पार्टी टिकट देगी या नहीं क्षेत्र में इस पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन इतना जरूर है कि क्षेत्र में उसकी पकड़ है और 2 टर्म से विधायक रहने के कारण दावेदारी भी बनती है. इस सबके बाबजूद सत्ता में रहने के कारण जनता की सबसे ज्यादा नाराजगी बादल से ही होगी.
भाजपा में इस सीट से चुनाव लड़ने वालों की है लंबी लिस्ट
भाजपा में जरमुंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की लिस्ट काफी लंबी है। 1985 में इस सीट पर पहली बार कमल खिलाने वाले अभय कांत प्रसाद, 1995 में झामुमो के टिकट पर जबकि 2000 में भाजपा के टिकट पर विधायक बनने वाले देवेंद्र कुंवर, रविकांत मिश्रा, निवास मंडल, जिलाध्यक्ष गौरव कांत प्रसाद सहित टिकट की आस में दूसरे दल को छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले कई नेता अपनी दावेदारी कर चुके हैं. दो बार निर्दलीय विधायक बनने वाले दागी पूर्व मंत्री हरिनारायण राय से कुछ दिन पूर्व असम के सीएम हिमंता विश्व सरमा ने मुलाकात कर माहौल को और गर्म कर दिया.दुमका जिला में एक मात्र सामान्य सीट पर भाजपा आलाकमान किसके नाम पर मोहर लगती है कुछ दिनों में तस्वीर साफ हो जाएगी फिलहाल यही कहा जा सकता है कि इस सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला तय है.
रिपोर्ट-पंचम झा