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क्या लोबिन की फिरकी में फिर से फंस गये हेमंत, गिरिडीह पहुंचते ही क्यों बदल गयी सीएम हेमंत की भाषा

क्या लोबिन की फिरकी में फिर से फंस गये हेमंत, गिरिडीह पहुंचते ही क्यों बदल गयी सीएम हेमंत की भाषा

टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कल तक पारसनाथ की पहाड़ियों को जैन धर्मावलंबियों का आश्रयस्थल और खुद को जैनियों का सबसे बड़ा चैंपियन बताने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाषा अपने खतियान जोहार यात्रा के साथ गिरिडीह पहुंचते ही अचानक से बदली नजर आ रही है.

मुख्यमंत्री हेमंत ने खुले मंच से गिरिडीह पुलिस और अर्धसैनिक बलों को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि तीर-धनुष और नगाड़ा आदिवासियों की पंरपरा है और राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री है. किसी को भी आदिवासी समाज की परंपरा और संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

आदिवासी समूहों में अपनी गिरती साख को रोकने की कोशिश

आदिवासी समूहों में अपनी विश्वसनीयता को एक बार फिर से सुदृढ़ करने की कोशिश के तहत सीएम हेमंत ने केन्द्र की मोदी सरकार को भी घेरा, सीएम हेमंत ने कहा कि यह जो पूरा सम्मेद शिखर विवाद है, वह भाजपा की साजिशों को नतीजा है. इस पारसनाथ की पहाड़ियों की रक्षा के लिए हमारे अनकों पुरखों ने अपनी जान दी है. निश्चित रुप से सीएम हेमंत का इशारा आदिवासियों की उस मांग के पक्ष में थी जिसमें सम्मेद शिखर को पर्वत को मरांग बुरु बताया जाता है. और इस स्थल पर आदिवासी परंपरा के हिसाब से पूजा पद्धति की इजाजत देने की मांग की जाती रही है.

सरना धर्म कोड का मुद्दा उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश

आदिवासी समूहों को यह विश्वास दिलाने के लिए सरकार आपके साथ खड़ी है, सीएम हेमंत ने एक बार फिर से सरना का मुद्दा को उठाया, सीएम ने कहा कि भाजपा कोई भी कोशिश कर ले, लेकिन आदिवासियों के बीच भाजपा को लेकर शंका का समाधान नहीं होगा, यदि भाजपा आदिवासियों की सच्ची हितैषी हो तो सरना धर्म कोड को पारित क्यों नहीं करती.

मरांग बुरु के मुद्दे से भटक गये थें सीएम हेमंत

यहां बता दें कि सम्मेद शिखर विवाद को लेकर मुख्यमंत्री की भाषा में यह बदलाव यूं ही नहीं आया है, इसके पीछे लोबिन हेम्ब्रम और दूसरे आदिवासी–मूलवासी नेताओं का इस मुद्दे पर बढ़ता संघर्ष है. इन आदिवासी-मूलवासी नेताओं को ज्योंही यह महसूस हुआ कि सीएम हेमंत जैन धर्मावलंबियों के साथ खड़ा नजर आ रहे हैं, जबकि उनसे अपेक्षा मरांग बुरु के मुद्दे पर आदिवासियों के हक और हकूक के साथ खड़ा होने की थी. आदिवासी समूहों में सीएम हेमंत का विरोध शुरु हो गया. किसी भी कीमत पर मरांग बुरु पर आदिवासी अधिकार की बात शुरु हो गयी और निश्चित रुप से हर बार की तरह इस बार भी सीएम हेमंत के विरुद्ध इसका नेतृत्व किया झामुमो लोबिन हेम्ब्रम ने.

गिरिडीह पहुंचते ही सीएम हेमंत ने बदला अपना स्टैंड

इस खिसकते जनाधार का एहसाह होते ही सीएम हेमंत ने अपने स्टैंड में बदलाव लाते हुए इस पूरे विवाद को भाजपा की साजिशों से जोड़ दिया, यह साफ कर दिया कि वह आज भी आदिवासी-मूलवासियों के साथ ही खड़े हैं. उनके रहते आदिवासी-मूलवासियों को दूसरा कोई चैंपियन नहीं हो सकता. लेकिन यह मत भूलिये की यदि लोबिन ने यह सख्त तेवर नहीं दिखाया होता तो आज सीएम की यह भाषा नहीं होती.

रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार

Published at:19 Jan 2023 12:10 PM (IST)
Tags:Hemant trapped again in Lobin spinCM Hemant GiridihGiridih NEWS Lobin HEMBROM HEMANT SOREN CM HEMNAT SOREN BJP JMM SAMMED SHIKHAR NAXALITES
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