दुमका(DUMKA): वर्तमान जरूरत की पूर्ति के साथ बेहतर भविष्य की कामना लिए आज के इस भौतिकतावादी युग मे हर इंसान जीतोड़ मेहनत कर रहा है. बेहरत भविष्य की आश में लोगों को सुरक्षित निवेश की तलाश रहती है. वैसे तो सरकारी उपक्रम में निवेश शुरू से ही सुरक्षित माना जाता है लेकिन कम समय में अधिक मुनाफा के चक्कर में लोग चिट फंड कंपनी के जाल में फंस कर अपनी गाढ़ी कमाई से हाथ धो बैठते हैं.
अपनी ही रकम निकालने के लिए लगाना पड़ रहा चक्कर
सरकारी उपक्रम की बात करें तो भारतीय डाक विभाग लोगों की पहली पसंद रहा है. बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज दर और गांव से लेकर शहर तक पोस्ट आफिस की उपलब्धता इसका कारण माना जाता है. लेकिन गोड्डा सहित संथाल परगना प्रमंडल के लोगों को इन दिनों पोस्ट आफिस से अपनी गाढ़ी कमाई निकालने के लिए दुमका स्थित वरीय डाक अधीक्षक कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है. विभागीय कर्मी और अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा निवेशक को भुगतना पड़ रहा है. आए दिन निवेशक और पोस्ट ऑफिस के कर्मी के बीच तीखी नोक झोंक हो रही है.
महिलाओं ने विभाग के कर्मियों को जमकर खरी खोटी सुनाई
कुछ दिन पूर्व महगामा की दो महिला निवेशक भुगतान लेने गोड्डा मुख्य डाकघर पहुचीं. महिलाओं ने विभाग के कर्मियों को जमकर खरी खोटी सुनाई. महिलाओं का कहना है कि वर्ष 2013 में उन्होंने दस वर्षीय राष्ट्रिय बचत पत्र खरीदा जो 2023 के अक्टूबर माह में परिपक्व हो गया. मगर जब भुगतान लेने डाकघर पहुंची तो कहा गया कि कागजात और बचत पत्र जमा करा दें. उसे स्वीकृति के लिए दुमका स्थित वरीय डाक अधीक्षक का कार्यालय भेजा जाएगा. वहां से स्वीकृत होकर आने के बाद भुगतान के लिए दुमका जाना पड़ेगा. निवेशक का तर्क है कि जब निवेश गोड्डा में किया तो भुगतान लेने दुमका क्यों जाएं. 83 वर्षीय सेवानिवृत प्रोफेसर श्यामा कांत झा को भुगतान के लिए पोस्ट आफिस का चक्कर लगाना पड़ रहा है.
विभागीय अधिकारी की लापरवाही का खामियाजा निवेशक और अभिकर्ता क्यों भुगते
डाक विभाग में अभिकर्ताओं की नियुक्ति निवेशकों की सुविधा के लिए की जाती है ताकि निवेशकों से डाक विभाग में निवेश करवा सकें. मगर इन विसंगतियों से अभिकर्ताओं में भी रोष देखा जा रहा है. एक अभिकर्ता ने बताया कि विभाग जब वर्ष 2015 में CBS (कोर बैंकिंग सिस्टम) हो रहा था तो दस वर्षीय राष्ट्रीय बचत पत्र के अलावे भी कई खाते सीबीएस में नही चढ़ाए गये. विभागीय अधिकारी और कर्मी की लापरवाही का खामियाजा निवेशक और अभिकर्ता क्यों भुगते.
निवेशकों की नाराजगी जायज: वरीय डाक अधीक्षक
इस मामले में उप डाकपाल गोड्डा का कहना है कि जिस तरह से वरीय अधिकारीयों का दिशा निर्देश मिलेगा उसी तरह से काम करना पड़ेगा. वहीं वरीय डाक अधीक्षक भी मानते हैं कि विभागीय अधिकारी से लापरवाही हुई है. जो ऑन लाइन है उसके भुगतान में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जो ऑफ लाइन से ऑन लाइन नहीं हो पाया उसके लिए कागजात दुमका भेजना जरूरी है. यहां से स्वीकृति के पश्चात ही भुगतान हो पायेगा. उन्होंने कहा कि निवेशकों की नाराजगी जायज है.
आए दिन निवेशक और कर्मी के बीच हो रही तकरार
कहा जाता है कि भारतीय डाक विभाग केंद्र सरकार की उन उपक्रमों में से एक है जो सबसे ज्यादा मुनाफा दे रहा है, वो भी तब जबकि पत्र प्रेषित करने वाले सामग्री की बिक्री नगण्य है. मतलब साफ है कि ननबैंकिंग कंपनी का हश्र देख कर लोगों का रुझान सुरक्षित निवेश को लेकर पोस्ट ऑफिस की तरफ बढ़ा है. लेकिन यहां विभागीय लापरवाही का खामियाजा निवेशकों को भुगतना पड़ रहा है. विभिन्न पोस्ट आफिस में आए दिन निवेशक और कर्मी के बीच तकरार हो रही है. इस हालत में निवेशकों की सब्र का बांध कभी भी टूट सकता है।
गोड्डा से अजीत के साथ दुमका से पंचम झा की रिपोर्ट