रांची (RANCHI): आमतौर पर कई बार यह देखा जाता है कि पुलिस पदाधिकारी अपनी वर्दी का धौस या पुलिसिया रौब दिखाकर बिना ठोस कारण के ही किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर थाने में बैठाये रखते है और कई बार कई मौकों पर उन्हें गिरफ्तार कर जेल तक भेज दिया जाता है , फिर रिमांड और पूछताछ का सिलसिला शुरू हो जाता है. इस दरम्यान न तो इसकी जानकारी उनके परिजनों को दी जाती है और न ही उनके पास गिरफ्तारी की ठोस वजह होती है , अगर किसी ने पूछने की जुर्रत भी की तो उन्हें डरा धमका कर चुप करा दिया जाता है , इसी बाबत कुछ शिकायते DGP झारखंड को मिली , मामले की गंभीरता को देखते हुए dgp अनुराग गुप्ता ने सूबे के सभी थानों को चेतावनी हुए विशेष दिशा निर्देश जारी किया है .
लंबे समय से राज्य के डीजीपी को मिल रही थी इसकी जानकारी
बता दें कि लंबे समय से राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता को यह जानकारी मिल रही थी कि राज्य के कुछ पुलिस अधिकारी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में अंकित प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे है., इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीजीपी ने सभी पुलिस पदाधिकारियों को बीएनएसएस के नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है और अगर नियम पालन नहीं किया गया तो पुलिस पदाधिकारियों को निलंबित करने और विभागिय कार्रवाई करने की भी बात कही है.साथ ही डीजीपी ने इस संबंध में राज्यभर के डीआईजी, एसएसपी, एसपी को पत्र भेजा है. सभी एसएसपी को इसकी लगातार जांच करने के भी निर्देश दिए गए है.
एक ज्ञापन करना होगा तैयार
डीजीपी ने बताया कि पुलिस पदाधिकारियों को एक ज्ञापन तैयार करना होगा. उसमें गिरफ्तार व्यक्ति के परिजन से हस्ताक्षर कराना होगा. अगर उसके परिजन को जानकारी नहीं मिलती है तो मुहल्लेवासी को गवाह बनाना होगा. इसके साथ ही किसी भी आरोपी को गिरफ्तारी करने के बाद उसका ब्योरा रखना होगा. इसकी जिम्मेवारी थाने के दारोगा से लेकर मुंशी तक के पास होनी चाहिए. थानेदार के द्वारा जिस भी पुलिस पदाधिकारी को आरोपी का ब्योरा रखने की जिम्मेवारी सौंपेगी. उस पुलिस पदाधिकारी की ही. जवाबदेही भी होगी. उनसे ही ब्योरा मांगा जाएगा. डीजीपी ने बीएनएसएस की धारा 37 का हवाला देते हुए. सभी थानेदारों को सख्त हिदायत दी है कि इसका हर हाल में वे पालन करें.
पूछताछ के बाद ही मिल सकते है अधिवक्ता
आपकों बता दें कि पत्र में कहा गया है कि गिरफ्तार किए गए आरोपी से पूछताछ के दौरान अधिवक्ता को मौजूद रहने का अधिकार नहीं होगा. बीएनएसएस की धारा 38 का हवाला देते हुए डीजीपी ने आदेश दिया है कि गिरफ्तार व्यक्ति अपने मनपसंद अधिवक्ता से मिल सकता है. लेकिन पूछताछ के बाद ही उन्हें मिलने की इज्जात देना है.