टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अभी अपने राजनीतिक करियर के सबसे कड़े इम्तहान से गुजर रहे हैं. जहां ईडी प्रदेश में हुए घोटाले को लेकर पूछताछ के लिए बेकरार है, तो विपक्ष भाजपा बार-बार भ्रष्टाचार को लेकर सोरेन परिवार को घेर रही है. इस मुश्किल और विपरीत हालत में राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन के सामने इन चुनौतियों से पार लोकसभा चुनाव की चुनौती है.
झारखंड की 14 सीटों को लेकर जोरदार घमासान होने की संभावना जताई जा रही है. ऐसे में यहां इस बार एनडीए और इंडिया के बीच कड़ी टक्कर है. पिछले चुनाव में भाजपा ने 14 में से 12 सीट पर कब्जा जमाया था. इस बार इंडिया गठबंधन की कोशिश राजमहल और चाईबासा की सीट के साथ अन्य सीटों पर भी जीत का परचम लहराने की कवायद में होंगे. लेकिन, यहां मुश्किल सीट शेयरिंग को लेकर आपसी दलों के बीच ही है. जिसकी चर्चाए और बयानबाजियां बहुत दिनों से हो रही है.
कांग्रेस की 9 सीटों पर दावेदारी
पिछली बार बिछी चुनावी बिसात में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा सात सीटों पर उतरी थी. जिसमे सिर्फ चाईबासा सीट पर ही जीत मुनासिब हो सकी थी. गीता कोड़ा हाथ के लिए इकलौती उम्मीदवार रही, जिसने खाता खुलवाकर लाज बचा लिया. नहीं तो कांग्रेस के लिए पिछला चुनाव में ही झारखंड में सूपड़ा साफ हो गया होता. पिछली बार पंजे ने चाईबासा, चतरा, हजारीबाग, धनबाद, रांची, खूंटी और लोहरदगा सीट पर उम्मीदवार उतारे थे. इस बार देश की सबसे पुरानी पार्टी कोडरमा और गोड्डा की सीट पर जोर-शोर से दावेदारी जता रही है. इसके पीछे वजह ये है कि पिछले चुनाव में गठबंधन के तहत जेवीएम यहां से लड़ी थी. लेकिन, बाबूलाल मरांडी के भाजपा में शामिल होने के बाद झारखंड विकास मोर्चा का भी भगवा पार्टी में विलय हो गया. जिसके चलते दोनों सीट पर पंजा अपना हक जता रही है. इधर, गोड्डा से जेवीएम के लिए चुनाव लड़ चुके प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, इसके लिए चलते उनका दावा मुफीद बन गया है. उधर, कोडरमा पर भी कांग्रेस दावेदारी कर रही है. दरअसल, पिछली बार जेवीएम की तरफ से बाबूलाल यहां से चुनाव लड़े थे.
जेएमएम ने भी की ज्यादे की दावेदारी
लेकिन, कोडरमा सीट पर पेंच ये है कि यहां गठबंधन में शामिल जेएमएम भी दावा कर रही है. कोडरमा में झामुमो ने भाजपा के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा को पार्टी में शामिल कराया है. ऐसे में इस सीट पर खींचतान तेज होने की संभावना जताई जा रही है. कोडरमा के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा चाईबासा सीट को लेकर भी है. आगे इन दोनों सीटों पर क्या समाधान निकलता है ये तो समय ही बताएगा.
इधर, सीट शेयरिंग के मामले में जेएमएम से राज्य सभा सांसद महुआ मांजी का बयान भी बहुत कुछ इशारे कर दे रहा है. माजी की माने तो जिस राज्य में जो पार्टी ज्यादा मजबूत है, उसे वहां राज्य में अधिक सीटें देने पर विचार हो रहा है. इंडिया गठबंधन के द्वारा स्थानीय स्तर पर ही राज्यों में सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय किया जाएगा.
महुआ माजी की बातों से तो लगता है कि सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस औऱ जेएमएम में कुछ न कुछ परेशानियां, खटपटे और अड़चने आयेगी. अगर ऐसा होता है तो फिर कांग्रेस की 9 सीटों पर दावेदारी नहीं कर सकेगी. खैर आगे देखना यही दिलचस्प है कि आखिर इंडिया झारखंड में भाजपा से घमासन करने से पहले अपनों से ही मिलने वाली चुनौतियों को कैसे पार करती है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह