रांची (RANCHI) : लोकसभा चुनाव के रण में जीत के लिए विभिन्न पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. इस रण में किसकी जीत होगी और किसको हार मिलेगी ये चुनाव परिणाम के बाद चलेगा. वहीं झारखंड में इंडिया गठबंधन ने अपने प्रत्याशियों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए विशेष रणनीति बनाने में जुट गयी है. जीत के लिए चुनावी रणनीतिकार अपने हिसाब से गुणा-गणित कर रहे हैं. खासकर एसटी, एससी, ओबीसी वोटरों को साधने के लिए तैयारी की जा रही है. बता दें कि झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर इंडिया गठबंधन ने अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है. वहीं एनडीए ने 14 सीटों पर पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है. अब ये तय हो गया है कि इस बार झारखंड में इंडिया और एनडीए में सीधा मुकाबला होगा.
इन सीटों पर फतह हासिल करने के लिए जुटी पार्टी
बताया जाता है कि जिन सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी कम या ज्यादा वोटों से हार गई थी. उस सीटों पर जीत के ज्यादा फोकस कर रही है. खासकर रांची, धनबाद, गोड्डा, चतरा, लोहरदगा, खूंटी, पलामू, हजारीबाग, जमशेदपुर, कोडरमा और चतरा पर विशेष नजर है. लोहरदगा और खूंटी लोकसभा सीट की बात करें तो यहां बहुत कम अंतर से कांग्रेस प्रत्याशियों की हार हुई थी. खूंटी में कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा 1445 वोट से हार गए थे. वहीं लोहरदगा में सुखदेव भगत करीब दस हजार वोट से पराजित हुए थे. इसलिए इन सीटों पर कांग्रेस का विशेष फोकस है. इसके लिए अलग से रणनीति बन गई है, और उसपर काम चल रहा है
इन सीटों पर मिले थे 50 प्रतिशत से कम वोट
2019 के लोकसभा चुनाव में झारखंड के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण सीट है जहां इंडिया गठबंधन को 50 प्रतिशत से कम वोट मिले थे. किस वजह से कम मिले थे उस पर भी समीक्षा की जा रही है. रांची, धनबाद, गोड्डा, चतरा, पलामू, हजारीबाग, जमशेदपुर, कोडरमा और चतरा में जीत सुनिश्चित करने के लिए कई स्तरों पर रणनीति बनाई जा रही है. बता दें कि 2019 के चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों को रांची में 2.82 लाख, धनबाद में 4.86 लाख, गोड्डा में 1.84 लाख, पलामू में 4.77 लाख, हजारीबाग में 4.78 लाख, जमशेदपुर में 3.02 लाख, कोडरमा में 4.55 लाख, चतरा में 3.77 लाख वोट से हार हुई थी. इन सीटों पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों की जीत के लिए युद्ध स्तर पर काम किया जा रहा है. अब तो चुनाव परिणाम के बाद पता चलेगा कि इंडिया गठबंधन की रणनीति कितना सफल हुआ. क्योंकि जिस हिसाब से इंडी काम कर रही है ऐसे में आने चुनाव में एनडीए को कड़ी टक्कर मिलेगी.