टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-झारखंड में अब अधिकारियों की तुलना में मंत्रियों की ताकत बढ़ जायेगी, उनके जिम्मे ज्यादा अधिकार आ जाएगा. झारखंड सरकार ने मंत्रियों के पक्ष में एक निर्णायक फैसला लिया है. दरअसल, योजनाओं को स्वीकृति देने के मामले में सचिवों के अधिकार में कटौती कर डाली है. अभी तक उनके पास पांच करोड़ रुपए तक की योजनाओं की स्वीकृति देने का अधिकार था, जिसे घटाते हुए ढाई करोड़ करने जा रही है. अफसरों के पावर को कमतर कर मंत्रियों को ताकतवार बनाया जा रहा है. अब मंत्री ढाई करोड़ से 15 करोड़ तक की योजनाओं को स्वीकृत करने का अधिकार मिलेगा.
समय-समय पर सरकार लेती है फैसला
मंहागाई तो वक्त बढ़ते जाती है औऱ रुपए में इसके चलते अवमूल्यन या कहे इसकी वैल्यू घटते जाती है. जिसके चलते सरकार समय-समय पर सचिवों और मंत्रियों की योजना स्वीकृति की सीमा बढाते रहती है. हालांकि, राज्य में देखा जाए तो पहली बार ऐसा हुआ है कि पूर्व से चली आ रही स्वीकृति की राशि सीमा घटाई गई है. कैबिनेट से मंजूरी लेने के बाद सरकार ने कार्यपालिका नियमावली में संशोधन के लिए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से स्वीकृति मांगी थी. जिसे 18 सितंबर को मंजूरी दे दी है. अब कैबिनेट सचिवालय अधिसूचना जारी करेगा.
कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पर मंजूरी
6 सितंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने इस प्रस्ताव पर मंजूरी ली थी. इसके बाद कार्यपालिका नियमावली में संशोधन की जरूरत थी, जिसके लिए राज्यपाल की स्वीकृति की आवश्यकता होती है. लिहाजा, सरकार ने इसे राजभवन को भेजा था. जिसे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने राज्य सरकार के प्रस्ताव पर अपनी मंजूरी दे दी है
मंत्रियों की बल्ले-बल्ले
इस नई व्यवस्था के आने से जानकारों की माने तो इससे मंत्रियों की बल्ले-बल्ले हो जाएगी. इससे अधिकांश योजनाओं की फाइले अब मंत्रियों के पास जायेगी, जिसे वो स्वीकृत करेंगे. देखा जाए तो इस फैसले से मंत्रियों के हाथ ज्यादा मजबूत हो जायेंगे. वो इसलिए क्योंकि ढाई करोड़ रुपए के दायरे में आने वाली योजनाएं छोटी होती है. सामन्या से मध्य औऱ बढ़ी योजनाएं ढाई करोड़ से अधिक होती है. लिहाजा, ये सभी मंत्रियों के जिम्मे ही स्वीकृति के लिए आ जायेगी. जबकि, सचिव ढाई करोड़ से कम की योजनाओं पर ही स्वीकृति देंगे.
15 करोड़ से अधिक की योजना पर नियम
15 करोड़ तक की योजना पर मंत्रियों के जिम्मे रहेगी, लेकिन, इससे अधिक यानि 15 करोड़ से अधिक 25 करोड़ तक की योजनाओं पर विभागीय मंत्री स्वीकृति जरुरी है. इसके बाद ही इसे राज्य योजना प्राधिकृत समिति के पास भेजा जाता है. समिति की अनुशंसा पर फाइल योजना मंत्री के पास जाती है. इस प्रस्ताव पर फिलहाल कोई फेरबदल नहीं किया गया है. सिर्फ सचिव और विभागीय मंत्री के अधिकार क्षेत्र में ही बदलाव हुआ है.
झारखंड में तो ये नियम बनाया जा रहा है. लेकिन, पड़ोसी राज्य बिहार की बात करें तो विभागीय सचिव को 5 करोड़ रुपए और मंत्रियों को 5 करोड़ से 15 करोड़ रुपए तक की योजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार है. झारखंड में भी अब तक ऐसी ही व्यवस्था चल रही थी. लेकिन, सरकार ने 8 साल बाद सचिवों के अधिकारों में कटौती करने का फैसला लिया है.