धनबाद(DHANBAD): धनबाद की सड़कों पर आवाजाही की आपाधापी के बीच लोगों के दिमाग पर आवारा पशुओं का भय इस कदर हावी है कि उन्हें देखते ही किनारे खड़े हो जाते हैं. जान का डर इतना अधिक हो जाता है कि जरूरी काम भी भूल जाते है.यह कोई एक दिन नहीं होता,रोज का यही हाल है.वैसे शहर में वाहन चलाने वाले ट्रैफिक नियमों का पालन लगभग नहीं के बराबर करते हैं, लेकिन सांड को देखते ही वह किनारे खड़ा हो जाना ही बेहतर समझते हैं. लाठी डंडों का भी इनपर कोई असर नहीं होता है. नगर निगम अभी नियम कायदे कानून बनाने में ही उलझा हुआ है और इधर शहर में सांडों का आतंक बढ़ता चला जा रहा है. पिछले दिनों तेलीपाड़ा में एक वृद्ध महिला की जान लेने के बाद शुक्रवार को शहर के झाड़ू डीह में सांड ने एक स्कूटी सवार को उठाकर पटक दिया. हालांकि यह दृश्य देख मोहल्ले के लोग दौड़े तो सांड वहां से गर्दन हिलाते चला गया. पुराना बाजार में भी सांड ने आतंक मचा रखा है. कई लोगों को जख्मी कर चुका है. पुराना बाजार के दुकानदारों का कहना है कि भीड़ भाड़ में जब सांड प्रवेश करता है तो भगदड़ मच जाती है. यह दृश्य रोज का होता है. बाजार में शाम के समय काफी भीड़ होती है. पुराना बाजार में सब्जी का बाजार भी है. लोग झोले में सब्जी लेकर बाजार से निकलते नहीं कि सांड झोले पर झपट्टा मारते हैं. सांड के धक्के से तो लोग गिरते कम हैं, उसके भय से लोग सब कुछ छोड़कर भागने के चक्कर में गिर जाते हैं और चोटिल हो जाते हैं. सांडों का यह आतंक कम नहीं हो रहा है. निगम ने पिछले शनिवार को 3 सांडों को शहर से उठाने के बाद अपनी पीठ थपथपा ही रहा था कि शुक्रवार को झाड़ू डीह में फिर घटना घट गई. आवारा पशु मौत बनकर सड़क पर बाजार में गली मोहल्ले में घूम रहे हैं. कब कहां आपके आगे खड़े हो जाए,कहा नहीं जा सकता है. अब यह सांड खूनी हो गए हैं. कब अपनी सिंह आपके शरीर में घोंप दे, कोई नहीं जानता. निगम दावा कर रहा है कि गौशाला में सांड को रखने के लिए अलग-अलग 50 सेल बनाए जा रहे हैं. एस्टीमेट बन गया है. चुनाव आचार संहिता के कारण टेंडर नहीं हो रहे थे. एक-दो दिनों में इसका टेंडर निकल जाएगा. जो भी हो लेकिन सांड अभी शहर के लिए मुश्किल बने हुए हैं .सड़कों पर डिवाइडर के बीच यह सांड बैठ आपको दिख जाएंगे. इसके चलते सड़क दुर्घटनाएं भी होती हैं. कई बार तो सांड आपस में लड़ते हुए वाहन चालकों को अपनी चपेट में ले लेते हैं .इलाके में लोग इन सांडों के नाम भी रखे हुए हैं. कहीं सांडों को बाहुबली के नाम से जाना जाता है तो कहीं कटप्पा के नाम से. शहर में सांड ट्रैफिक को भी प्रभावित कर रहे हैं. लोगों की जान पर भी खतरा बने हुए हैं. फिर भी इनकी मनमानी नहीं थम रही है.
धनबाद में सांड ने फिर एक को उठाकर पटका, पढ़िए खूनी हो गए "बाहुबली" और "कटप्पा" के आगे व्यवस्था कैसे हो गई है बौनी
Published at:08 Jun 2024 10:30 AM (IST)