दुमका (DUMKA) : आज के समय में विवाह के पूर्व कई रस्म अदा की जाती है. लेकिन एक रस्म ऐसी भी है जो प्रचीन है, इसका नाम है तिलकोत्सव. इसमें वधु पक्ष के लोग वस्त्र, मिष्ठान और जेवरात के साथ वर पक्ष के घर पहुंचते हैं और वर का तिलक किया जाता है. यह परंपरा अति प्राचीन मानी जाती है. यह रस्म हमारे हिंदु रीति रिवाज से जुड़ी हुई है. यही कारण है कि बाबा बासुकीनाथ में हर साल तिलकोत्सव मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि बाबा के विवाह से 25 दिन पहले उनका तिलक अभिषेक किया जाता है. तो जानते हैं इसके पीछे की कुछ मान्यताओं के बारे में जिसे लोग आज भी शादी-ब्याह में मानते हैं.
क्या है तिलकोत्सव से जुड़ी मान्यता
प्रत्येक वर्ष हर शिवालय में बाबा भोलेनाथ का विवाह संपन्न होता है. फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिव विवाह संपन्न होती है, जिसे शिवरात्रि भी कहते हैं. परंपरा के अनुसार शिव विवाह से ठीक 25 दिन पूर्व बसंत पंचमी को तिलकोत्सव की रस्म अदा की जाती है. बाबा को तिलक चढ़ाने काफी संख्या में मिथिलांचल से श्रद्धालु प्रतिवर्ष यहां पहुंचते हैं. मिथिलावासी अपने आप को माता सीता से जोड़कर वधु पक्ष का मानते हैं और उस नाते तिलक सामग्री के साथ बाबा बासुकीनाथ मंदिर बसंत पंचमी के मौके पर आते हैं. तिलक सम्पन्न होने के बाद लोग शिव विवाह का इंतजार करते हैं.
बासुकीनाथ में संपन्न हुआ तिलकोत्सव, शिवरात्रि का इंतजार
दुमका के बासुकीनाथ मंदिर में भी बसंत पंचमी की रात बाबा बासुकीनाथ का तिलकोत्सव सम्पन्न हो गया. तिलकोत्सव के सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ लगी रही. दिन भर पूजा अर्चना के बाद संध्या काल में बाबा पर तिलक चढ़ाया गया. बाबा का नवीन वस्त्र, आभूषण, फूल, बेल्बपत्र से भव्य श्रृंगार किया गया. मिष्ठान का भोग लगाया गया. तिलकोत्सव के मुख्य यजमान मंदिर प्रभारी आशुतोष ओझा बने. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच तिलकोत्सव सम्पन्न हुआ. ऐसे में अब लोगों को शिव विवाह का इंतजार है. इस वर्ष 18 फरवरी को शिवरात्रि का त्योहार है. शिव बारात में शामिल होने काफी संख्या में भक्त बासुकीनाथ मंदिर पहुंचते हैं. आकर्षक झांकियां निकाली जाती हैं. अब जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन कमिटी शिव विवाह की तैयारी में जुटेंगे.
रिपोर्ट : पंचम झा, दुमका