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राम और रावण भी कांवड़ लेकर पहुंचे थे बाबाधाम, जानें इसका महत्व

राम और रावण भी कांवड़ लेकर पहुंचे थे बाबाधाम, जानें इसका महत्व

देवघर(DEOGHAR): बाबाधाम के शिवमय वातावरण में कांवरियों के रुप में शिव भक्ति मूर्त रुप में देखा जा सकता है.तरह-तरह के सुसज्जित कांवर कंधे पर लिए बोलबम और हर हर महादेव के जयघोष पर थिरकते कांवरिया ऐसा प्रतीत होता है कि अगर कांवर नहीं होता तो शायद शिव भक्ति का यह साकार रुप भी प्रकट नहीं होता.

स्कन्द पुराण में भी कांवर यात्रा का है वर्णन
जानकर की माने तो कांवर यात्रा का वर्णन स्कन्द पुराण में वर्णित है कि जो नर-नारी कंधे पर कांवर रख बोल बम का जयघोष करते हुए अपनी यात्रा पूरी करते है, उन्हे अश्वमेघ यज्ञ का पुन्य प्राप्त होता है.शायद इन्ही मान्यताओं के कारन कांवर में जल भरकर बाबाधाम पहुंचने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है.

रावण औऱ राम ने भी कांवर यात्रा की थी
सावन का पवित्र माह शुरु होते ही सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से कांवर में जल भर कर बाबाधाम पहुंचने वाले कांवरियों का एक अंतहीन सिलसिला शुरु हो जाता है.कांधे पर कांवर और मुंह पर बोलबम और हर हर महादेव का बीज मंत्र के सहारे कांवरिया चल पड़ते है. कांवर में जल भर बाबा धाम पहुंचने की यह परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है.ऐसी मान्यता है कि सर्व प्रथम स्वयं रावण ने महारानी मंदोदरी के साथ भगवान भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए कांवर में जल भर कर पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक किया था.बाद में भगवान राम भी लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए कांवर में जल भर कर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने यहां आये थे.

अनोखा और आकर्षक कांवर लेकर बाबा धाम पहुँच रहे हैं कांवरिया
सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से संकल्प के साथ कांवर में जल भरने के बाद रास्ते में कांवर की पवित्रता बनाये रखने के लिए कांवरियों को कई नियमें का भी पालन करना पड़ता है. कांवरिया भी मानते है कि सच्ची श्रद्धा से कांवर में जल लेकर बाबा के जलाभिषेक से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.शायद यही कारण है कि यहां जो एक बार कांवर लेकर आता है उसे बार-बार बाबाधाम आने की इच्छा होती है.कांवरिया पथ पर एक से बढ़कर एक कांवर देखने को मिल रहा है.कोई देवी देवताओं का मूर्ति वाला कांवर लेकर पहुँच रहे है, तो कोई नाग की आकृति वाला।तो कोई कांवरिया भारी भरकम आकर्षक दिखने वाला कांवर लेकर बाबाधाम आ रहे है.

शिव भक्तों की पहचान है कांवर
गंगा जल लेकर बाबाधाम पहुंचने के और भी कई साधन है. लेकिन कांवर के साथ जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और परंपराओं के कारन कांवर में जल भर कर पवित्र द्वाद्श ज्योतिर्लिंग के जलाभिषेक का खास महत्व है।यही कारन है कि कांवर आज इन शिव भक्तों की पहचान बन गया है.

रिपोर्ट-रितुराज

Published at:26 Jul 2024 03:59 PM (IST)
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