साहिबगंज(SAHIBGANJ):साहिबगंज जिले से कुछ दिनों पहले द न्यूज़ पोस्ट ने मनरेगा योजना में हो रहे बड़े घोटाले की पोल खोली थी, जिसमे बोरियो प्रखंड के चालधोवा गांव में तालाब खोदवाने की जगह कोरोड़ा रुपयों का गबन किया गया था, वहीं जैसे ही ये खबर मनरेगा घोटाले में शामिल भ्रष्ट कर्मचारियों व घोटालेबाज बिचौलियों तक फैली, वैसे ही इनके बीच खलबली मच गई.जिसको बाद अब तालाब के अधूरे काम को अधिकारी पूरा करने की तैयारी में जुट गये है.आपको बताये कि मनरेगा योजना के तहत साल 2019-20 में बननेवाले तालाब घोटाले के बाद अब इस वर्ष उक्त तालाब का निमार्ण होना शुरु हो गया है.और इसके लिए गांव में पूरी तैयारी कर ली गई और दिन भर गांव के मजदूरों को तालाब निर्माण कार्य में लगा दिया गया है. मनरेगा योजना में घोटाला करनेवाले भ्रष्ट कर्मचारियों पर कारवाई तो नहीं की गई, लेकिन तालाब निर्माण का कार्य शुरु किया गया, ताकि इनका घोटाला छुप सके.
मंगल सोरेन का परिवार अपने साथ हुए धोखाधड़ी को लेकर सवाल करते रहे है
सूत्रों के मुताबिक इसके लिए लाभुक परिवार को मना लिया गया है, इसके एवज में कुछ मैनेज करने की बात सामने आ रही है.ख़बर प्रकाशित होने के बाद रोजाना सुबह से शाम तक मंगल सोरेन के परिवार को गांव के बिचौलिए भूतू साह और जोगिंदर साह दवाब के मनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मंगल सोरेन का परिवार अपने साथ हुए धोखाधड़ी को लेकर सवाल करते रहे, परिवार किसी भी शर्त पर पुनः तालाब निर्माण के लिए तैयार नहीं थे,लेकिन गांव के बिचौलियों,मुखिया और सरकारी कर्मचारियों के दवाब के बाद परिवार अब तालाब निर्माण कार्य के लिए हामी भर चूका है,ऐसी सूचना आ रही है.बताया जा रहा है कि रविवार के दिन मंगल सोरेन के जमीन पर तालाब निर्माण का कार्य किया जा रहा था, लेकिन सवाल यह है कि ज़िम्मेदार पदाधिकारियों ने सरकारी कर्मचारियों पर कारवाई क्यों नहीं किया?
घोटाला उजागर होने के बाद भी सरकारी कर्मचारियों पर कारवाई अब तक क्यों नहीं हुई
मनरेगा घोटाला उजागर होने के बाद भी सरकारी कर्मचारियों पर कारवाई अब तक क्यों नहीं हुई.सरकारी योजनाओं के तहत मनरेगा का कार्य किया जाना बेहद जरूरी है,और इन योजनाओं को पूर्ण करवाने की जिम्मेदारी प्रखंड के मनरेगा कर्मचारियो और पदाधिकारियों पर होता है,लेकिन चालधोवा गांव में मनरेगा योजना में हुए घोटाले के सामने आने के बाद भी अब तक बड़े अधिकारियों द्वारा दोषी मनरेगा कर्मचारियों पर कारवाई नहीं की गई.क्या प्रखंड कार्यालय में बैठे ज़िम्मेदार घोटाले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.जेटके कुम्हरजोरी पंचायत के वर्ष 2019 में पदयुक्त जेई पवन दास से इस सम्बंध में सवाल क्यों नहीं किया जा रहा?यदि जेई,रोजगार सेवक,पंचायत सचिव इस मामले में दोषी हैं तो कब तक कारवाई की जाएगी?
घोटाले को दबाने जैसा मामला प्रतीत होता है
इस मनरेगा घोटाले को प्रखंड पदाधिकारियों द्वारा दबाने की कोशिश की जा रही है,ऐसा प्रतित हो रहा है,क्योंकि पदाधिकारी इस मामले को लेकर सवाल पूछने पर गोल मटोल जवाब देते दिख रहे हैं.प्रखंड की बीपीओ को तो जांच पड़ताल के लिए गांव पहुंचने के बाद भी जानकारी नहीं होता कि चालधोवा गांव में मनरेगा घोटाला हुआ है.सवाल सरकारी कुर्सियों में बैठे पदाधिकारियों के मंशा पर है कि दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई कब तक किया जाएगा,या फिर इसी तरह घोटाले को अंजाम दिया जाता रहेगा.इस मामले पर वर्तमान पंचायत सचिव जवाब देने में असमर्थ दिखे-जेटके कुम्हरजोरी पंचायत में पंचायत सचिव पद पर कार्यरत ज़िम्मेदार से जब बातचीत किया गया तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि, क्या बोलें.कुछ समझ नहीं आ रहा, इस पंचायत में कार्य करने का मन नहीं कर रहा है.पहले से ही पूरे पंचायत में मनरेगा योजना में धांधली हो रहा है,और पंचायत बदनाम हो चुका है,हालांकि यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा.इसमें से न्यूज़ पोस्ट का साहिबगंज के अधिकारियों से कुछ सवाल है-आखिर कौन देगा इस घोटाले का जवाब?जब वर्ष 2019 का तालाब निमार्ण कार्य 2024 के फरवरी माह में शुरु हुआ है,तो इसकी जवाबदेही किसकी है? कौन इस पूरे घोटाले प्रकरण का जवाब देगा? प्रखंड विकास पदाधिकारी या फिर बीपीओ? इस सम्बंध में जांच किस तरह हुई,और दोषी कर्मचारियों और पदाधिकारियों पर करवाई कब होगी?इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है.
रिपोर्ट-गोविंद ठाकुर