धनबाद(DHANBAD): धनबाद की पूर्वी झरिया में शुक्रवार को अवैध उत्खनन के दौरान हुआ हादसा, धनबाद पुलिस की गले की फांस बनता दिख रहा है. पुलिस जैसे-जैसे इस मामले को झुठलाने की कोशिश कर रही है, वैसे वैसे ही उलझती चली जा रही है. बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम सहित अन्य लोगों का दौरा जारी है. तरह तरह के प्रश्न किए जा रहे हैं. इन प्रश्नों से घबराई और खुद को सुरक्षित बचाने की कोशिश में पुलिस घटना में मरे 10 वर्षीय जितेंद्र यादव का शव शनिवार की देर रात को गुपचुप ढंग से मोहलबनी श्मशान घाट स्थित कब्र से निकलवाया. फिर उसे चुपके चोरी लाकर धनबाद के बड़े सरकारी अस्पताल के मोर्चरी में रखवा दिया गया. रविवार को उसका पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम के बाद शव को बिना डेड बॉडी चालान और पंचनामा के धनबाद के तेलीपाड़ा स्थित श्मशान घाट में दफना दिया गया. इस पूरे मामले में कोई कुछ नहीं बोल रहा है.
जिन लोगों को दाह-संस्कार हो गया उसका पोस्टमार्टम कैसे होगा
जितेंद्र यादव के वृद्ध दादा सिर्फ इतना भर कह रहे हैं कि हम लोग काफी गरीब आदमी हैं, हमसे कुछ ना पूछा जाए. बहरहाल, दफनाए जितेंद्र यादव के शव का तो कब्र से खोदकर पोस्टमार्टम कराया गया लेकिन जिन लोगों को अग्नि के हवाले कर दिया गया है, उसका पोस्टमार्टम कैसे होगा. सवाल तो कई हैं, सैकड़ों आंखों के सामने घटना घटी. लोग लाश को कंधे पर ले जा रहे थे. बीसीसीएल कार्यालय के सामने प्रदर्शन हो रहा था .इन सब सबूतों को आखिर कैसे पुलिस, प्रशासन अथवा बीसीसीएल नष्ट कर पाएंगे. फोटो ,वीडियो चीख चीख कर सबूत दे रहे हैं कि घटना घटी है और मौतें हुई है. लोग भी घायल हुए हैं.
पुलिस प्रशासन के साथ बीसीसीएल के अधिकारी पर भी उठ रहे सवाल
इधर, परियोजना पदाधिकारी के आवेदन पर शनिवार को मामला दर्ज किया गया. परियोजना पदाधिकारी ने प्राथमिकी के मजमू न में कहा है कि सूचना के बाद घटनास्थल का निरीक्षण किया गया. जांच पड़ताल की गई लेकिन घटनास्थल पर कोई लाश नहीं मिली और ना ही कोई घायल मिले .अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि जब अवैध उत्खनन के हादसे में किसी की मौत हुई हुई ही नहीं है तो फिर जितेंद्र यादव के शव को निकालकर पोस्टमार्टम क्यों कराया गया है. किस घटना में जितेंद्र यादव के शव को कब्र से निकलकर पुलिस पोस्टमार्टम कराई है. ऐसे कई सवाल हैं जो बीसीसीएल प्रबंधन की एफआईआर को झूठ ला रहे हैं. केवल पुलिस प्रशासन ही नहीं बल्कि बीसीसीएल के अधिकारी भी इस पूरे मामले में घिरते दिख रहे हैं.
खड़े हो रहे कई सवाल
एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर मृतक के परिजन और घायलों को मुआवजा कौन भुगतान किया, किसके कहने पर यह राशि दी गई. यह राशि कोई गुपचुप ढंग से नहीं बल्कि कई लोगों के सामने दी गई है. फिर लोग अपना पल्ला क्यों झाड़ रहे हैं. एक झूठ को छुपाने के लिए पुलिस प्रशासन और बीसीसीएल को अभी आगे कई झूठ बोलने पड़ेंगे और हो सकता है कि यही सब झूठ उनके लिए आगे चलकर भारी पड़ जाए .क्योंकि इतने अधिक सबूत है कि इस घटना को पचा पाना बहुत आसान नहीं होगा. पूर्वी झरिया की चर्चा धनबाद, रांची होते हुए दिल्ली तक पहुंच गई है. ऐसे में आगे यह घटना किस ओर मुड़ती है, कितने लोगों को जांच के दायरे में लाती है ,यह आने वाला वक्त बताएगा.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो