धनबाद(DHANBAD): धनबाद कोयलांचल की बंद कोलियरियों के गैर उपयोगी चानक "मौत का कुआं" बन गए है. बंद चानक में कूद कर जान देने अथवा मर्डर के बाद लाश को फेंक देने के मामले सामने आते रहे है. पुराने इतिहास को खंगाल जाए तो बंद चानक में कूद कर कई लोगों ने आत्महत्या की है. कई हत्याएं भी कर लाश फेंकी गई होगी. कुछ का पता चला तो बहुतो का कुछ भी पता नहीं चला. कुछ ही ऐसे मामले आए, जिनकी खोजबीन हुई. आप सोच रहे होंगे कि चानक आखिर होता क्या है. बहुत पहले कोलियारियों में पोखरिया उत्खनन का कॉन्सेप्ट नहीं था. भूमिगत खदानों से कोयले का उत्पादन होता था. इसी चानक के जरिए डोली से मजदूर खदान के भीतर जाते थे. मजदूरों को जिस सिम से कोयला निकालना होता था, इसी चानक के जरिए उस सिम तक पहुंचते थे. फिलहाल भारत को किंग कोल् लिमिटेड की अधिकांश अंडरग्राउंड खदानें बंद कर दी गई है. लेकिन चानक का मुंह अभी भी खुला हुआ है.
बहुत के मुँह सीमेंटेड हैं तो कई खुले हुए है
हालांकि बहुत सारे चानक के मुंह को सीमेंटेड कर दिए गए है. बावजूद कई के मुंह खुले हुए है. यह चानक "मौत का कुआं" बन गए है. अगर गलती से कोई पशु उसमें गिर गए, तो पता नहीं चलेगा. बहुत सारे लोग आत्महत्या करने के लिए इसे सुरक्षित मानते है. चानक की भौगोलिक स्थिति भी कुछ ऐसी होती है कि सब कोई इसमें गिरे व्यक्ति या पशु को निकाल नहीं सकता है. क्योंकि अंदर जाने पर खतरा हो सकता है. बंद चानक में गैस भरी हो सकती है. बीसीसीएल में कई भूमिगत खदाने गैसीय खदाने भी है. ईस्ट भगतडीह के 9 नंबर चानक का अगर उदाहरण ही ले लिया जाए, तो गुरुवार की रात को चानक में कूदे कृष्णानंद को निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया था.
एनडीआरएफ की टीम बिना ऑपरेशन के लौट गई
लेकिन एनडीआरएफ की टीम मिहनत -मशक्कत के बाद भी सफल नहीं हो सकी. वजह है कि इस तरह के चानक कोलियरी क्षेत्र में ही होते हैं और वस्तुत एनडीआरएफ की टीम या कोई भी टीम नक़्शे के आधार पर काम करती है. भूमिगत खदानों को बंद कर दिए जाने की वजह से चानक बेकार हो गए है. जहां लोकल मैनेजमेंट संवेदनशील है, वहां चानक के मुंह को सीमेंटेड कर दिया गया है. लेकिन जहां पर किसी की नजर नहीं गई है, वहां अभी भी चानक खुले हुए है. ऐसे ही चानक में कृष्णानंद घरेलू झगड़े के बाद कूद गया और अंततः उसकी मौत हो गई. कड़ी मेहनत के बाद बीसीसीएल माइंस रेस्क्यू की टीम ने उसे उसकी लाश को बाहर निकाला. धनबाद कोयलांचल में में कितने चानक रूपी "मौत का कुआं" अभी भी बिना ढके हैं, इसका कोई आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है. लेकिन बंद चानक में लोगों के कूदने, डूबने और मरने की सूचनाएं आती रहती है. बरसात के दिनों में इन चानक में पानी भर जाता है. बीसीसीएल प्रबंधन को चाहिए कि ऐसे चानक को चिन्हित कर उनके मुंह को सीमेंटेड कर पूरी तरह से ढक दे, जिससे कि कोई दुर्घटना नहीं हो.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो