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झारखंड के IAS अधिकारी नहीं जानते अबुआ दिशोम अबुआ बीर का मतलब! कैसे करेंगे आदिवासी मूलवासी का उत्थान

झारखंड के IAS अधिकारी नहीं जानते अबुआ दिशोम अबुआ बीर का मतलब! कैसे करेंगे आदिवासी मूलवासी का उत्थान

रांची(RANCHI): झारखंड का गठन आदिवासी मूलवासी के उत्थान के लिए वर्ष 2000 में किया गया था. राज्य गठन से यहाँ के आदिवासी मूलवासी को उम्मीद थी की उनके दिन अब बदलने वाले है. लेकिन 23 साल के झारखंड में बदहाली दूर नहीं हो सकी. राज्य में कई सरकार बनी सभी का मुद्दा गरीबी को दूर कर आदिवासी क्षेत्र की तस्वीर बदलने का रहा. बावजूद कुछ खास जमीन पर दिखा नहीं.आखिर बदलता भी कैसे जब यहां के अधिकारियों को आदिवासी शब्द का मतलब ही नहीं मालूम है, वह उस आदिवासी के दुख और दर्द को क्या समझेंगे.अधिकारी बनने के बाद उन्हे तो बाबू कहलाने की आदत पड़ जाती है. दरअसल जब आज यानी सोमवार को झारखंड मंत्रालय में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान की शुरुआत कर रहे थे तो वहां कार्यक्रम में मौजूद अधियाकरियों को इसका मतलब ही नहीं मालूम था बस वह सीएम की बात को सुनने बैठे थे.

अबुआ दिशोम अबुआ बीर के जरिए आदिवासियों को वन पट्टा देने की योजना

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक आंदोलनकारी के बेटे है. वह आदिवासी का दुख और दर्द क्या होता है समझते हैं. क्योंकि शुरू से उन्होंने अपने पिता को महाजनों के खिलाफ् आंदोलन करते देखा है. जब सीएम छोटे थे तब उनके पिता कई बार आदिवासी मूलवासी आंदोलन के वजह से जेल गए. लेकिन जब सत्ता हेमंत सोरेन को मिली तो उन्होंने ठाना की राज्य में अब कोई आदिवासी परिवार बदहाल नहीं होगा. क्योंकि उनका बेटा राज्य का मुख्यमंत्री है. कई योजना लेकर आए कई कार्यक्रम के जरिए आदिवासी समुदाय को प्रमोट करने का काम किया. ऐसी ही कुछ योजना अबुआ दिशोम अबुआ बीर  की शुरुआत की. आदिवासी समाज में जो लोग वन पर निर्भर है उन्हें 2006 वन पट्टा अधिनियम के तहत जमीन दिया जाएगा. जिससे उनका दिन बदल सके.

अबुआ दिशोम अबुआ बीर का मतलब नहीं बता सके अधिकारी

लेकिन इस बीच जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस कार्यक्रम में मौजूद सभी जिले के उपायुक्त और अन्य अधिकारियों से इसका मतलब पूछा तो एक सन्नाटा सा पूरे हॉल में छा गया.सभी अधिकारी एक दूसरे का चेहरा देखने लगे.  एक दो अधिकारियों ने इसका जवाब दिया कि अबुआ बीर और अबुआ दिशोम का मतलब क्या होता है. लेकिन बाकी अधिकारी चुप्पी साध कर बैठे रहे. इससे साफ है कि यहाँ के अधिकारी योजनाओं को लेकर कितना ज्यादा काम करते हैं. सिर्फ खानापूर्ति के लिए इस कार्यक्रम का हिस्सा बने हैं. सीएम इसके बाद थोड़ा नाराज भी दिखे. उन्होंने कहा कि यह राज्य अन्य राज्यों से थोड़ा अलग है यहां के चीजों को जानना जरूरी है.             

Published at:06 Nov 2023 05:00 PM (IST)
Tags:IAS officers of Jharkhand do not know the meaning of Abua Dishom Abua Bir! How will we uplift the tribal people?AdiwasiTribalJharkhandHemant sorenIASDCDC RanchiDC DumkaAdiwasi mulwasiAbua Dishom Abua birअबुआ राज अबुआ दिशोम अबुआ बीर हेमंत सोरेन झारखंड झारखंड न्यूज उपायुक्त 'रांची project building
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