रांची (RANCHI) : झारखंड में मेरिट के आधार पर नौकरी होना भगवान मिलने जैसा है. कतिपय नीतिगत समस्याओं की वजह से झारखंड में सरकारी नौकरी में जानने वाले लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. नियोजन नीति की उठापटक के कारण लाखों युवाओं का भविष्य अधर में लटका रहता है. फिर भी आशा की किरण कभी खत्म नहीं होती.
जानिए सैकड़ों लोगों को मिलने जा रही नौकरी
झारखंड बने 23 साल हो रहे हैं. सरकारी कार्यालयों में काफी संख्या में हर स्तर पर पद रिक्त हैं. झारखंड में नियुक्ति प्रक्रिया का कोई ठिकाना नहीं रहता है. सरकार किसी की भी हो, यह समस्या सामान्य रूप से देखी जाती है. फिर भी चलिए नौकरी उस हिसाब में नहीं मिली है लेकिन कुछ ना कुछ तो मिली जरूर है. भले इसके लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. मिसाल के तौर पर पंचायत सचिव की नियुक्ति को ही ले लें. लंबे संघर्ष और कानूनी लड़ाई के बाद अब उन्हें नौकरी मिलने जा रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 22 जून को मोरहाबादी मैदान में नियुक्ति पत्र देने जा रहे हैं. 1633 अभ्यर्थियों को पंचायत सचिव पद के लिए नियुक्ति पत्र मिलने जा रहा है.
क्या- क्या नहीं करना पड़ा इन अभ्यर्थियों को
पंचायत सचिव पद के लिए नियुक्ति संबंधी विज्ञापन 2000 16 में प्रकाशित हुआ था. उस समय झारखंड में रघुवर दास की सरकार थी. इस सरकार में भी नियुक्ति प्रक्रिया में गति नहीं थी. लटकते लटकते फिर भी परीक्षा का आयोजन हो गया. रिजल्ट भी आ गया. 1633 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने इस प्रतियोगिता परीक्षा का आयोजन किया था.
इसके बाद अभ्यर्थियों का संघर्ष बढ़ गया.राज्य में सरकार बदल गई. रघुवर दास चले गए.हेमंत सोरेन आ गए. बस क्या था राजनीतिक स्तर पर नियोजन नीति आ गई.पहले तो पूरा रिजल्ट ही रद्द घोषित कर दिया. रघुवर सरकार द्वारा 13 और 11 जिले के फार्मूले पर आधारित नियोजन नीति हेमंत सरकार को मंजूर नहीं थी. हेमंत सरकार ने अपनी नियोजन नीति बनाई. देखते जाइए किस तरह से सफल अभ्यर्थियों का संघर्ष बढ़ता गया. उसके बाद सोनी कुमारी का मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. सरकार फैसले का इंतजार करने लगी. इधर पंचायत सचिव प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थियों ने भी कानून का दरवाजा खटखटाया.कोर्ट में सुनवाई होती गई. विलंब होता चला गया. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट में पंचायत सचिव सफल अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला आ गया. तब जाकर हेमंत सरकार के पास कोई और रास्ता नहीं बचा. इस कारण से अब सभी सफल 1633 अभ्यर्थी पंचायत सचिव बनने जा रहे हैं.
जानिए झारखंड में पंचायत सचिव के कितने पद सृजित हैं
जैसा कि पद का नाम है उस हिसाब से प्रत्येक पंचायत में एक पंचायत सचिव तो होना ही चाहिए. पंचायती राज व्यवस्था के तहत केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत सचिव की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. पंचायत सचिव सरकार का कर्मी होता है. झारखंड में 4573 पंचायत है. लगभग 3000 पद आज की तारीख में खाली हैं.22 तारीख को नियुक्ति पत्र मिलने के बाद जब सभी अभ्यर्थी योगदान दे देंगे तब भी झारखंड में लगभग 14 सौ पंचायत सचिवों के पद खाली रह जाएंगे. फिर भी इस नई नियुक्ति से सरकार को बहुत सहूलियत होगी. खाली पड़े अन्य पदों के लिए भी नियुक्ति प्रक्रिया आगे शुरू हो सकती है.