रांची (RANCHI) : हेमंत 3.0 सरकार झारखंड राज्य में नौकरियों की बाढ़ लेकर आई थी. झारखंड के युवा भी काफी खुश थे, लेकिन जिस विभाग में नियुक्तियां हुई थीं, उसमें कुछ धांधली की बू आ रही है. JSSC में PGT परीक्षा में मूक-बधिर कोटे में नौकरी पाने वालों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो साफ बोल और सुन सकते हैं. लेकिन फिर उन्होंने विकलांग्ता का प्रमाण पत्र देकर इस कोटे में नौकरी ले ली है, लेकिन नियुक्ति पत्र बांटने के बाद जब उनका सत्यापन किया गया तो सच्चाई कुछ और ही निकली.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, सत्ता में आने से पहले हेमंत सोरेन ने अपने घोषणा पत्र में झारखंड में युवाओं को नौकरी देने की बात कही थी. जिसे उन्होंने अपनी सत्ता के आखिरी साल में पूरा कर दिया है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने 1500 PGT शिक्षकों को नियुक्ति पत्र देने की घोषणा की थी. जिसके लिए 5 जुलाई की तिथि तय की गई थी, लेकिन झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल के कारण इस तिथि को आगे बढ़ाना पड़ा, जिसके बाद नए मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन राज्य में वापस लौटे और 12 जुलाई को उन्होंने धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में पीजीटी शिक्षकों के बीच नियुक्ति पत्र वितरित किए. जिसके बाद विपक्ष ने इस नियुक्ति पत्र वितरण का विरोध किया, लेकिन विपक्ष के नेता ने ट्वीट कर कहा कि नियुक्ति में धांधली हुई है. जिसके बाद राज्य सरकार ने इस मामले में जांच के आदेश दिए.
ऑडियो क्लिप से हुआ मामले का खुलासा
इस पूरे मामले में सवाल उठने के बाद राज्य सरकार ने हर व्यक्ति की जांच शुरू की, फिर एक ऐसा खुलासा हुआ जो सबके लिए चौंकाने वाला था. देवघर के सत्संग निवासी योगेंद्र को जब कॉल किया गया तो उन्होंने कॉल रिसीव किया और 2 मिनट से अधिक समय तक उन्होंने अधिकारी से बात की, उनके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए, उनसे कई सवाल भी पूछे. दरअसल योगेंद्र ने परीक्षा में दिव्यांग कोटे से फॉर्म भरा था. दिव्यांग कोटे से उन्हें नौकरी भी मिल गई. उन्होंने अपने मूक-बधिर होने के दस्तावेज भी जमा किए थे, जिसके बाद उन्हें नौकरी मिल गई. लेकिन इस ऑडियो क्लिप में आप साफ तौर पर सुन सकते हैं कि वह बोल भी सकता है और सुन भी सकता है. ऑडियो में अधिकारी ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार को गुमराह करके नौकरी पाने के लिए हम तुम्हारे खिलाफ केस भी दर्ज कराएंगे. यहां तुमने अपनी सरकार को बदनाम करने का काम किया है.
पिता ने आरोपों को सिरे से नकारा
इस पूरी घटना के बाद योगेंद्र उमर के पिता सामने आए. और उन्होंने इन सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया. उन्होंने कहा कि जब से मेरे बेटे को नियुक्ति पत्र मिला है, तब से उस पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरे बेटे ने सभी दस्तावेज जमा किए थे और उसके बाद ही उसे विकलांग कोटे में नौकरी मिली है. उसने डॉक्टर द्वारा दिए गए कागज भी जमा किए हैं लेकिन फिर भी ऐसा कहा जा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि मेरा बेटा बोल तो सकता है लेकिन उसे सुनने में काफी दिक्कत होती है. इसलिए मेरा बेटा झूठ नहीं बोल रहा है. वैसे भी हम सभी जानते हैं कि जो बहरे होते हैं वे बोल और सुन नहीं सकते. लेकिन अगर कोई व्यक्ति बोल रहा है तो वह सुन भी सकता है और अगर कोई बोल रहा है तो वह बोल भी सकता है. ऐसे में सभी को यह जानने की उत्सुकता है कि सरकार क्या कार्रवाई करती है.