टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : होली रंगों का त्यौहार होता है. ये त्यौहार उत्साह, उमंग और बहुत सारी खुशियां लेकर आता है. होली के मौके पर बच्चे से लेकर बड़े और बूढ़े सभी मस्ती के मूड में रहते हैं. इस साल भी लोग धूमधाम से होली मनाएंगे. क्योंकि इस बार न तो लोगों को कोरोना का डर है और न ही किसी तरह की कोई पाबंदी है. लेकिन होली मनाया किस दिन जायेगा इसको लेकर अभी भी लोगों के मन में दुविधा है. इस आर्टिकल को पढ़ कर आपकी ये समस्या भी दूर हो जायेगी. जानते हैं होली का कंफर्म डेट और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त.
इस साल (2023) कब मनाई जाएगी होली
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली खेली जाती है. इसके अनुसार इस बार धूम धड़ाके का त्यौहार होली 8 मार्च 2023 को मनाई जाएगी. वहीं एक दिन पहले यानि 7 मार्च को होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा.
जानिए कब है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है. होलिका दहन को काफी अच्छा माना जाता है. लोग मानते हैं की होलिका दहन के साथ ही पिछले पुराने सारे दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं. और घर में सुख शांति और समृद्धि आती है. इस साल होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च को शाम 6 बजकर 24 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा. वहीं होलिका दहन के दिन भद्र सुबह 5 बजकर 15 मिनट तो रहेगा.
क्या है होलिका दहन की पूजन विधि और इसका महत्व
होलिका दहन की पूजा के लिए उत्तर या पूर्व दिशा के तरफ मुंह करने बैठना चाहिए. इसके बाद गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए. पूजन में जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, गुड़, हल्दी साबुत, मूंग, गुलाल और बताशे के साथ ही नई फसल यानी कि गेहूं और चने की पकी बालियां अर्पित की जाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा था. जिसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, हिरण्यकश्यप को यह बिल्कुल पसंद नहीं था. इसलिए वह अपने बेटे को मारने का प्रयास करता था. उसने अपने बेटे को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को उसे लेकर आग में बैठने को कहा. फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर चिता पर बैठ गई, होलिका ने वह चादर ओढ़ लिया, ताकि आग लगाई जाए तो वह बच जाए और प्रह्लाद जलकर मर जाएं. चिता में आग लगाई गई, तब भगवान विष्णु की कृपा से उस चादर से प्रह्लाद सुरक्षित हो गए और होलिका जलकर मर गई.