गिरिडीह (GIRIDIH) : जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थस्थल सम्मेद शिखर प्रकरण के बीच सम्मेद शिखर पारसनाथ के स्वामित्व के विवाद का अंत रविवार को एक खास बैठक के साथ खत्म करने का प्रयास तो किया गया. लेकिन मंगलवार को इसी स्वामित्व के मुद्दे पर आदिवासियों ने सम्मेद शिखर में बड़े आंदोलन का अल्टीमेटम देकर गिरिडीह जिला प्रशासन की परेशानी को और बढ़ा दिया है. लिहाजा, मंगलवार को संभावित आंदोलन को देखते हुए जिला प्रशासन मुस्तैद है. चप्पे-चप्पे पर पुलिस जवान तैनात किए गए हैं. वहीं रविवार को सम्मेद शिखर मधुबन के गेस्ट हाउस में खास बैठक हुई. वैसे सम्मेद शिखर प्रकरण को देखते हुए इस खास बैठक से मीडिया को दूर ही रखा गया था और बैठक भी बंद कमरे में ही किया गया. लेकिन बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चला. और कई महत्पूर्ण निर्णय हुए. हालांकि बैठक में हुए निर्णय की कई बाते सामने तो नही आ पाई. लेकिन सूत्रों की माने तो केंद्र और राज्य सरकार के निर्णय मांस मंदिरा पर सख्ती के साथ लागू रखने पर सहमति बनी.
सामाजिक संस्था के प्रतिनिधि की भागीदारी तय करने पर फैसला
करीब डेढ़ घंटे तक चले बैठक के बाद बैठक की जानकारी देते हुए डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि सम्मेद शिखर पार्श्वनाथ को लेकर अब कोई विवाद नहीं रह गया है. खास तौर पर स्वामित्व के मुद्दे पर कोई विवाद नहीं रह गया. जबकि डुमरी एसडीएम के नेतृत्व में एक कोर कमिटी के गठन होने की बात भी डीसी नमन प्रियेश लकड़ा द्वारा कही गयी. जिसमें श्वेतांबर और दिगंबर जैन समाज के प्रतिनिधियों के साथ सम्मेद शिखर मधुबन के सामाजिक संस्था के प्रतिनिधि की भागीदारी तय करने पर फैसला लिया गया. डीसी ने कहा कि हर छोटे विवाद का निपटारा इसी कोर कमिटी के माध्यम से निपटाया जाएगा. डीसी ने कहा कि सम्मेद शिखर पार्श्वनाथ में आदिकाल से जो व्यवस्था चला आ रहा है. वो पहले की तरह चलता रहेगा. इसमें कोई फेरबदल नहीं होना है. आदिवासियों का अपना फेस्टिवल और मकर संक्रान्ति का पर्व भी शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जाएगा. इसके लिए पुलिस जवानों को तैनात किया जा चुका है.
सम्मेद शिखर को लेकर नया बयान
इधर बैठक को लेकर सदर विधायक सुद्विया कुमार सोनू ने सम्मेद शिखर प्रकरण विवाद के बीच एक नया बयान देते हुए कहा कि सम्मेद शिखर पार्श्वनाथ में जैन समाज का भी तीर्थस्थल है, तो आदिवासी समुदाय का मरांग बुरू तीर्थस्थल भी है. और यह आज से नही, बल्कि ब्रिटिश शासन के गजट से लेकर कई दशकों तक यह व्यवस्था बना हुआ है. इसमें किसी तरह का फेरबदल नहीं किया जा सकता.
डुमरी एसडीएम के नेतृत्व में बनी कोर कमेटी
लिहाजा, मधुबन के गेस्ट हाउस में हुए बैठक में जो निर्णय हुए है. उसके अनुसार व्यवस्था वही बनी रहेगी. जैन धर्म और आदिवासी समुदाय दोनों को ही एक दूसरे के परंपरा और धार्मिक मान्यता को महत्व देना होगा और दोनों ही अपने-अपने परंपरा के अनुसार पारसनाथ में सभी धार्मिक गतिविधि भी चलाएंगे और इसलिए इस बैठक में जो हुआ, उसके अनुसार, अब डुमरी एसडीएम के नेतृत्व में कोर कमेटी बना है. जिसमे जैन समाज के दोनो ही स्टेक होल्डर शामिल होंगे.
बैठक में मौजूद अधिकारी
बैठक में डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, सदर विधायक सुद्विया कुमार सोनू, अपर समाहर्ता विल्सन भेंगरा, डुमरी एसडीएम प्रेमलता मुर्मू, एसडीपीओ मनोज कुमार और मधुबन थाना प्रभारी के साथ प्रोबेश्नल आईएएस उत्कर्ष कुमार समेत कई अधिकारी और सम्मेद शिखर के धार्मिक संस्थाओं में गुणायतन ट्रस्ट के सुभाष जैन, तपोभूमि के दीपक मेपानी समेत कई जैन संस्था के प्रतिनिधि शामिल हुए.
रिपोर्ट : दिनेश कुमार, गिरिडीह