रांची(RANCHI): अधिसूचित क्षेत्र के लिए पेसा कानून बड़ा महत्वपूर्ण कानून है.पेसा कानून को लेकर लगातार राज्य में आंदोलन देखने को मिल रहा था.आदिवासी समाज का कहना था कि अगर राज्य में पेसा कानून लागू हो जाता है तो आदिवासियों की जमीन सुरक्षित हो जाएगी. हालांकि इसको लेकर सरकार की ओर से मंथन किया जा रहा था.आपको बता दें कि सरकार ने पेसा रूल- 2022 को अंतिम रूप दे दिया है. पेसा कानून में ग्राम सभाओं को शक्तिशाली और अधिकार संपन्न बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके तहत ग्रामसभा की बैठकों की अध्यक्षता मुंडा ,मानकी आदि पारंपरिक प्रधान ही करेंगे. ग्राम सभा की सहमति के बिना जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकेगा. कहा जा रहा है कि ग्राम सभा का फैसला ही अंतिम फैसला होगा.
राज्य में लगातार आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही थी जिसका मामला आए दिन सामने आ रहा था. अब आदिवासियों की जमीन खरीद बिक्री मामले में ग्रामसभा की सहमति की बाध्यता होगी.बताया जा रहा है कि ग्रामसभा गांव में विधि व्यवस्था बहाल करने के उद्देश्य से आईपीसी की कुल 36 धाराओं के तहत अपराध करने वाले पर न्यूनतम 10 रुपए से अधिकतम हजार रुपए तक का दंड लगा सकेगी.पेसा कानून में पुलिस की भूमिका काफी अहम रहेगी. बताया जा रहा है कि ग्रामसभा को आदिवासियों की जमीन वापस करने का अधिकार भी दिया जाएगा ताकि आदिवासियों की जमीन सुरक्षित हो सके.
आपत्ति और सुझाव राज्य सरकार ने मांगी थी
राज्य की हेमंत सरकार की ओर से पेसा रूल के प्रारूप को लेकर 31 अगस्त तक सुझाव मांगे गए थे, क्योंकि आदिवासियों का कहना था कि इसमें कई त्रुटियां है जिसको लेकर लगातार सरकार की ओर से उनसे सुझाव मांगे जा रहे थे. सरकार ने उन आपत्तियों और सुझाव को अस्वीकार कर दिया है.जो हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और पेशा अधिनियम झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 के प्रावधानों के विपरीत थे.
लाभुकों का भी चयन ग्रामसभा की ओर से किया जाएगा
ग्रामसभा को संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत मिलने वाले अनुदान और खनिज विकास निधि से की जानेवाली योजनाओं का भी फैसला यहां ग्रामसभा की ओर से किया जाएगा. बताया जा रहा है कि योजनाओं के लाभुकों का चयन भी ग्रामसभा के माध्यम से ही किया जाएगा. विभाग की ओर से चलाई जाने वाली योजना के लिए ग्रामसभा से ही विचार विमर्श किया जाएगा.