रांची(RANCHI): अपनी बदहाली पर बिलख रहे एचईसी अपने कर्मचारियों के भी आँसू नहीं पोंछ पा रहा. आज बेहद दयनीय स्थिति को प्राप्त हो चुके हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन कभी भारत सरकार के लिए कई मशीनी उपक्रम बनती थी. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान इसरो के साथ मिलकर एचईसी ने कई प्रोडक्ट बनाए और देश में प्रगति की राह आसान की जिनमें से इन 5 प्रोडक्ट्स को तैयार कर भेजा गया
HSD - होरिजेंटल स्लाइडिंग डोर का काम पूरा कर श्रीहरिकोटा भेजा गया, 56 मीटर ऊंचाई, इसका काम रॉकेट को एसेंबल के दौरान डोर को क्लोज करने के लिए
फोल्डिंग प्लेटफॉर्म - काम पूरा कर श्रीहरिकोटा भेजा गया, 10 लेयर के प्लेटफार्म का इस्तेमाल सैटेलाइट को एसेंबल करने के लिए
व्हील बोगी - मार्च में काम पूरा कर श्रीहरिकोटा भेजा गया, देश में पहली बार इस तरह का प्रोजेक्ट HEC में पूरा किया गया, सैटेलाइट और रॉकेट को ले जाने का भार इसी पर होता है.
MLP- मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल के खुद का भार 1000 टन होता है. यह रॉकेट और सैटेलाइट से जुड़े सामानों को उठाकर लॉन्चिंग तक ले जाता है.
EOT- इलेक्ट्रॉनिक ओवरहेड ट्रेवली क्रेन 200 टन का भार उठाने में सक्षम होता है. रॉकेट और सैटेलाइट के एसेंबल से जुड़े सामानों को उठाने में सक्षम
ऐसे कई उपक्रम जो भारत सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं को पूरित करता हो एचईसी ने दिया परंतु आज वही एचईसी 13 महीने से अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहा. जिसके लिए कर्मचारियों के घर में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा. रोज रोज के प्रदर्शन के बाद भी कोई सुनवाई न होने पर अब कर्मचारियों ने इस लड़ाई को सोशल मीडिया में शिफ्ट कर दिया है .
इन कर्मियों का लंबे समय से प्रदर्शन चल रहा पर सरकार और प्रबंधन इनपर कोई ध्यान नहीं दे रहा ऐसे में कर्मचारी ही नहीं अधिकारी और इंजीनियर भी अपनी बात रखने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेंगे. ट्विटर इंस्टाग्राम और फेसबुक के माध्यम से पहले ही केंद्र सरकार और राज्य सरकार को आवाज दिया जा चुका है परंतु कर्मचारियों का कहना है की हम एचईसी कर्मियों के प्रति केंद्र और राज्य सरकार उदासीन होकर गूंगी बाहरी हो गई है. घर में अनाज राशन के भी लाले पड़ रहे है त्योहारों के तो नाम से डर लगता है.
मजदूर नेता रमाशंकर का कहना है की हम ट्विटर और इंस्टाग्राम के माध्यम से भारी उद्योग मंत्रालय को सूचित कर रहे कि एचईसी पर कोई निर्णय ले केंद्र एवं राज्य सरकार. हम कई दिनों से अपने हक के पैसे मांग रहे. यदि सरकार एचईसी बंद करना चाहती है तो ये भी निर्णय ले परंतु मजदूरों को भूखा मरने को न छोड़ें.
रिपोर्ट: पद्मा सहाय