टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : 13 साल एक पुराने मामले में राज्य के श्रम नियोजन और प्रशिक्षण विभाग के मंत्री सत्यानंद भोक्ता के द्वारा दायर डिस्चार्ज याचिका पर तीन मार्च को सुनवायी होगी.
वर्ष 2009 में दर्ज हुई थी प्राथमिकी
यहां बता दें कि विनीत कच्छप के आवेदन पर वर्ष 2009 में इस मामले में एसीबी ने निगरानी थाने में इस मामले को दर्ज किया था. दर्ज प्राथमिकी में पूर्व मंत्री नलनी सोरेन, कृषि सचिव वीजयराम, निस्तार मिंज और बीज आपूर्तिकर्ता दिलीप गाड़ोदिया समेत अन्य को आरोपी बनाया गया था लेकिन वर्ष 2015 में इस मामले में मंत्री सत्यानंद का नाम भी जोड़ दिया गया.
बगैर निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए खरीददारी का आरोप
निगरानी विभाग का दावा है कि बगैर निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए ही इन लोगों के द्वारा बीज की खरीददारी की गयी. इसके कारण राज्य को राजस्व का नुकसान हुआ. लेकिन आरोप तय होने के पहले ही मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने मामले में डिस्चार्ज याचिका दायर न्याय की गुहार लगायी. जिसकी सुनवाई तीन मार्च को होनी है. यहां यह भी बता दें कि तत्कालीन कृषि मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने एसीबी के विशेष अदालत में याचिका दाखिल कर निष्पक्ष जांच की मांगी की थी. लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गयी थी, जिसके बाद उनकी ओर से हाई कोर्ट में याचिका कर न्याय की मांग की गयी थी.
भारत सरकार के उपक्रम से की गयी थी बीज की खऱीददारी
मंत्री सत्यानंद भोक्ता का दावा है कि उनका नाम दर्ज प्राथमिकी में नहीं थी. लेकिन जांच के दौरान एसीबी के द्वार उनका नाम भी इसमें शामिल कर दिया गया, यह मामला विशुद्ध राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि मंत्री के रुप में उनका कार्यकल मात्र 14 माह का ही था. साथ ही बीज की पूरी खरीददारी भारत सरकार के उपक्रम से की गई है, ऐसे में घोटाला की बात सिर्फ राजनीति शिगुफाबाजी है.
रिपोर्ट : देवेंद्र कुमार, रांची