धनबाद(DHAMNAD) | धनबाद के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल SNMMCH के किसी विभाग को अगर 5 सालों में कोई डॉक्टर नहीं मिला हो और विभाग सही ढंग से प्रभार में भी नहीं चल रहा हो तो इसे आप क्या कहेंगे. यही हाल है धनबाद के SNMMCH के नशा विमुक्ति केंद्र का. दो हजार अट्ठारह से नशा मुक्ति केंद्र को स्थाई डॉक्टर नहीं मिले है. 2014 में इस केंद्र की स्थापना हुई थी. डॉक्टर विकास राणा नोडल ऑफिसर थे. उन्हें नशा करने वालों के इलाज का प्रशिक्षण दिया गया था. इनके साथ और लोग काम करते थे.
2018 में डॉक्टर विकास राणा ने केंद्र छोड़ दिया
2018 में डॉक्टर विकास राणा ने केंद्र छोड़ दिया ,तब से केंद्र को स्थाई डॉक्टर नहीं मिला है. नतीजा है कि मरीज धनबाद से रांची की दौड़ लगाते है. परेशानी झेलते हैं ,इलाज कराते है. लेकिन धनबाद का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल का महत्वपूर्ण विभाग डब्बा बना हुआ है. कोयलांचल में शराब के आदी लोगों की कमी नहीं है. कोयला क्षेत्र होने के कारण यहां नशा करने वालों की संख्या भी अधिक होती है. एक उम्र के बाद लोग नशा से विमुख होना चाहते हैं लेकिन आदत उन्हें नशा छोड़ने नहीं देती. इस वजह से कोयलांचल में मरीज भी अधिक होते हैं और यह यहां की बड़ी बीमारी है.
पांच साल से नहीं है कोई डॉक्टर
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो शिबू सोरेन हमेशा लोगों का आह्वान करते हैं कि नशा से दूर रहो, पढ़ो लिखो और आगे देखो. अभी झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई में प्रदेश में सरकार चल रही है. धनबाद के सरकारी अस्पताल के नशा मुक्ति केंद्र में 5 साल से डॉक्टर नहीं है. धनबाद में यह एकमात्र सरकारी नशा मुक्ति केंद्र है. बदइंतजाम के कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है. रांची जाकर इलाज करा रहे है. पहले यहाँ 250 मरीज दवा लेने आते थे. अभी केवल 65 ही आते है. मरीज कहते हैं कि कई सालों से नशा मुक्ति के लिए दवा ले रहा हूं, धनबाद के अस्पताल में दवा शुरू की थी लेकिन अब रांची जाना पड़ता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
