गुमला(GUMLA): गुमला जिला में बन रहा बाईपास सड़क का निर्माण कार्य लंबे समय से अधर लटका हुआ है. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन अब तक जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसको पूरा करवाने की पहल शुरू नहीं की है. बाईपास सड़क की स्थिति ऐसी हो गई है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है, ऐसे में शायद प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. उसके बाद इस सड़क को सही करवाया जाएगा.
सड़क का निर्माण रघुवर दास के शासनकाल में ही शुरू किया गया था
आपको बताये कि गुमला जिला मुख्यालय में होनेवाले जाम की स्थिति से लोगों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से शहर के बाहर से बाईपास सड़क का निर्माण करवाया जा रहा था,जो राष्ट्रीय राजमार्ग 143 और 43 को शहर के बाहर बाहर से जोड़ने का काम करती, इस सड़क का निर्माण कार्य विगत दिनों रघुवर दास सरकार के शासनकाल में ही शुरू किया गया था. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है.जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सड़क में जहां-तहां बारिश की वजह से कटाव हो गया है.जिससे बारिश का पानी जमा हो जाता है.
दो राष्ट्रीय राजमार्ग के गुजरने की वजह से शहर में आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती है
आपको बता दें कि गुमला जिला से दो राष्ट्रीय राजमार्ग के गुजरने की वजह से शहर में आए दिन जाम की स्थिति बनी रहती, ऐसे में लोगों ने झारखंड निर्माण के बाद से ही शहर में बाईपास निर्माण की मांग की थी. जिसकी शुरुआत झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आधारशिला करके की थी, लेकिन सड़क का निर्माण कार्य उसे समय शुरू नहीं हो पाया, उसके बाद बिगत दिनों रघुवर दास के शासन में सड़क की आधारशिला स्वयं रघुवर दास ने रखी थी ,लेकिन सड़क का निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाना सड़कों को लेकर राज्य सरकार की गंभीरता को दर्शाता है.जबकि वर्तमान में जिले के तीनों विधायक जेएमएम सरकार के विधायक हैं, लेकिन बावजूद इसके सरकार की ओर से इस सड़क को पूरा करवाने को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है.
राजनीतिक एजेंडा बनकर रह गया है ये सड़क
वहीं स्थानीय लोगों ने इसको लेकर सवाल खड़ा किया है, लोगों का स्पष्ट मानना है कि सरकार की ओर से सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं करवाया जाना सरकार की मनसा को दर्शाता है. महज 12 किलोमीटर तक बनने वाली यह सड़क अब तक पूरा नहीं हो पाना सुबह में सड़कों के निर्माण की धीमी गति को दर्शाने के लिए काफी है, जिले का या बाईपास सड़क राजनीति का भी केंद्र रहा जब भी चुनाव होता था, तो हर राजनीतिक दल के लिए यह एक एजेंट के रूप में देखा जाता था लेकिन बावजूद इसके यह सड़क केवल राजनीतिक एजेंडा बनकर रह गया. अब तक सड़क का पूरा नहीं हो पाना इस बात को स्पष्ट दर्शाता है कि जो भी राजनेता हो उन्हें जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है. वह केवल अपनी राजनीतिक स्वार्थ के लिए कोई भी वादा कर सकते हैं उसे पूरा करने की जवाबदेही वह नहीं मानते हैं.
अब तक दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत वाहनों के चपेट में आने की वजह से हो चुकी है
गुमला जिले की यह बाईपास सड़क निश्चित रूप से अगर सही रूप से पूरा कर दिया जाता तो बड़े वाहनों का परिचालन पूरी तरह से शहर के बाहर से होता है, ऐसे में शहर में ना तो जाम की स्थिति बनती ना ही कोई हादसा होता. अगर एक आंकड़े पर ध्यान दिया जाए तो अब तक दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत शहर में वाहनों के चपेट में आने के कारण हो चुकी होगी. जिसका मुख्य कारण यह है कि शहर से होकर ही बड़ी वाहनों के गुजरने के दौरान कई बार हादसे हुए हैं जिसमें लोगों की जान गई है. बावजूद इसके प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम हमारे सामने है. इस मामले को लेकर कोई भी प्रशासनिक पदाधिकारी कोई ठोस जवाब नहीं देता है और हर कोई कहीं ना कहीं टालमटोल की बातें करके अपनी जवाबदेही से भागने की कोशिश कर रहा है. परिस्थितियों जो बनी हुई है उसे स्पष्ट लगता है कि ना जाने प्रशासन और सरकार उसे दिन का इंतजार कर रही है.
गुमला के लोगों का सपना ना जाने कब पूरा होगा
वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग के पदाधिकारी के द्वारा कभी भी इस बात को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई गई, जबकि जिले में कई सड़कों का निर्माण कार्य और मरम्मती का कार्य चल रहा है, लेकिन इस सड़क निर्माण को लेकर जो रुचि दिखाई जानी चाहिए. वह रुचि नहीं दिखाई जाना निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग के पदाधिकारी की लापरवाही को भी दर्शाता है.ऐसे में स्पष्ट कहा जा सकता है कि गुमला के लोगों का सपना ना जाने कब पूरा होगा. लोगों ने यह उम्मीद लगाए रखी थी कि बाईपास का निर्माण सही रूप से अगर पूरा हो जाता है, तो निश्चित रूप से लोगों को लाभ मिलेगा लेकिन जो परिस्थितियों बनी हुई है वह इस बार की ओर बात की ओर इशारा कर रही है कि भगवान भरोसे है यह सड़क न जाने कब इसके पूरा होने का समय आएगा
रिपोर्ट-सुशील कुमार