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गुमला:सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद भी किसानों को राहत नहीं! पलायन को मजबूर है अन्नदाता, पढ़ें क्यों होता है राहत राशि मिलने में विलंब  

गुमला:सूखाग्रस्त घोषित होने के बाद भी किसानों को राहत नहीं! पलायन को मजबूर है अन्नदाता, पढ़ें क्यों होता है राहत राशि मिलने में विलंब   

गुमला(GUMLA):झारखंड सरकार की ओर से राज्य के कई जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है.जिसमे प्रभावित किसानों को हर सम्भव मदद का भरोसा दिया गया है,लेकिन वहीं  सही मात्रा में बारिश नहीं होने से किसान खेती नहीं कर पा रहे है, जिससे परेशान होकर किसान पलायन की योजना बना रहे है.झारखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग की बैठक के बाद सभी जिलों से आई रिपोर्ट के बाद राज्य के 17 जिलों को सुखग्रस्त घोषित किया गया है,जिसमे गुमला जिला भी शामिल है.

गमला की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी पूरी तरह से खेती पर आश्रित है

आपको बताये कि गुमला जिला राज्य का एक ऐसा जिला है, जहां की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी पूरी तरह से खेती पर आश्रित है, वह भी मानसून की बारिस से ही उनकी जीविका चलती है,लेकिन बिगत दिनों बारिश काफी कम होने की वजह से काफी किसानो खेती नहीं कर पाये. किसानों का मानना है कि उन लोगो ने तो धान का बिचड़ा लगाया भी था कि शायद बारिश हो जाय और वह खेती कर पाए, लेकिन बारिश समय पर ना होने से उनका बिचड़ा भी बर्बाद हो गया, अब किसानों को काफी परेशानी हो रही है, जिसकी वजह ले ग्रामीण पलायन करने की योजना बना रहे है.

सराकर की ओर से मिलनेवाली राहत राशि में होता है घोटाला

वहीं गुमला के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती योग्य जमीन की कमी नहीं है, लेकिन सिंचाई का कोई विकल्प नहीं होने की वजह से खेत बेकार पड़े रहा जाते है, जबकि सिंचाई के संसाधन उपलब्ध करवाने के नाम पर सरकार की ओर से करोड़ो रूपये खर्च तो होते है, लेकिन वह केवल पदाधिकारियो के लिए कमाई का साधन बनकर रह जाते है. यही कारण है कि सूबे के किसानों को अपनी खेती के लिए पूरी तरह से मानसून की बारिश पर आश्रित रहना पड़ता है.गुमला जिला की बात करे तो यहां की स्तिथि ऐसी है कि यहां से बड़े पैमाने पर लोग मजदूरी के लिए इट भट्ठों में जाने को मजबूर है, इस बार तो जो परिस्तिथि बनी है वह ज्यादा ही भयावह है लोगो ने कहा है कि उन्हें इच्छा नहीं करती है कि वह पलायन करें लेकिन वह काफी मजबूर होकर पलायन करते है.

किसानों को मुआवजा की राहत राशि मिलने में काफी बिलंब हो जाता है

ग्रामीणों ने कहा कि सरकार जिला को सूखाग्रस्त घोषित तो करती है, लेकिन उस फाइल की गति इतनी धीमी होती है कि किसानों को मुआवजा की राहत राशि मिलने में काफी बिलंब हो जाता है, तब तक किसान यदि इंतजार करे तो उन्हें भूखे मरने को मजबूर होना होगा.कम बारिश होने से परेशान किसानों के लिए जिला को सूखाग्रस्त घोषित करने की खबर थोड़ी राहत देने वाली खबर तो है, लेकिन अब देखना होगा कि किसानों को सरकार द्वारा घोषित राहत राशि कब तक मिल पाती है. इतना तो तय है कि हमारे अन्न दाताओ को हर वर्ष परेशानियों का सामना करना पड़ता ही है, लेकिन उनकी सही रूप से शुद्धि लेने की कोशिश अब तक कि किसी सरकार ने नहीं  ली है जो निश्चित रूप से काफी चिंता का विषय है.

रिपोर्ट-सुशील कुमार

Published at:11 Jan 2024 12:58 PM (IST)
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