गुमला(GUMLA):गुमला जिला में मौजूद बाजार समिति का कार्यालय पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया है. जिसको लेकर ना तो जिला प्रशासन और ना ही राज्य सरकार की ओर से ध्यान दिया जा रहा है, जिसकी वजह से कभी भी कोई बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है.झारखंड की सत्ता में बैठने वाली सभी सरकारों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करने को लेकर लंबे चौड़े दावे तो करने का प्रयास किया ,लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ काम नहीं हो पाया जिसका स्पष्ट उदाहरण है ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने में अहम भूमिका निभाने वाले बाजार समिति का कार्यालय पूरी तरह से खंडहर में तब्दील होना.
भवन के नीचे बैठकर कर्मचारी और पदाधिकारी मजबूरी में काम कर रहे हैं
गुमला जिला मुख्यालय में स्थित इस कार्यालय के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करने का काम किया जा सकता था, लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा जब कार्यालय का भवन ही पूरी तरह से खंडहर में तब्दील हो गया है और इसी भवन के नीचे बैठकर कर्मचारी और पदाधिकारी मजबूरी में काम कर रहे हैं, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसका लाभ कितना ग्रामीणों को मिलता होगा. इस कार्यालय में बैठने वाले पदाधिकारी ने स्पष्ट कहा कि कार्यालय की स्थिति काफी दयनीय हो गई है, जिसको लेकर कई बार विभाग को सूचित किया गया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्थानीय लेवल पर भी प्रशासनिक पदाधिकारी को इस बात की सूचना दी गई, लेकिन कार्रवाई हुई है, वह हमारे सामने है भवन की स्थिति इतनी खराब है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है
गुमला की अर्थव्यवस्था पर बाजार समिति की काफी अहम भूमिका हुआ करती थी
वहीं बाजार समिति के पदाधिकारी की माने तो बाजार समिति के माध्यम से जिले के कई ग्रामीण बाजार हाथों की व्यवस्था संचालित की जाती थी लेकिन विगत कुछ दिनों से ग्रामीण बाजार की स्थिति दयनीय बनती जा रही है और बाजार समिति के हाथों से भी उन बाजारों को ले लिया गया है, जिसकी वजह से उनकी स्थिति लगातार बर्बाद होती जा रही है, एक समय था जब बाजार समिति के माध्यम से ग्रामीण बाजार हाथों को संचालित किया जाता था, जहां से ग्रामीणों को काफी लाभ हुआ करता था.लेकिन यह व्यवस्था लगातार दिन पर दिन दिन बत्तर होती जा रही है, जिस पर जिला प्रशासन और राज्य सरकार को ध्यान नहीं दे रहा है.वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि गुमला जिला की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ग्रामीण अर्थव्यवस्था है ऐसे में बाजार समिति की काफी अहम भूमिका हुआ करती थी, एक समय था कि बाजार समिति के माध्यम से ग्रामीण बाजार बंजारों की स्थिति को काफी बेहतर बनाया जाता था जिसके कारण लोगों को काफी लाभ मिलता था लेकिन वर्तमान समय में जब बाजार समिति की ही स्थिति काफी खराब हो गई है ऐसे में ग्रामीण बाजार हाथों की स्थिति कैसे बेहतर हो पाएगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
सरकार की उदासीनता के कारण लगातार स्थिति खराब होती जा रही है
ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण लगातार स्थिति खराब होती जा रही है.यही परिणाम है कि आज के समय में ग्रामीणों को अपने सामानों को बिक्री करने के लिए कोई अच्छी जगह नहीं मिल पा रही है. जिसके कारण दलालों के माध्यम से वह अपने सामानों को आने-पौधों दामों पर बेचने को मजबूर होते हैं, उन्हें काफी नुकसान होता है. आप ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों अपने सामानों की उपज की क्षमता को भी कम कर दिया गया है और वह पलायन करके दूसरे राज्यों में काम करने को मजबूर है.
बाजार समिति की वजह से ग्रामीणों की स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है
यदि बाजार समिति के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर रखा जाता तो ग्रामीणों का पलायन रुकता और ग्रामीण के द्वारा कई ऐसे सामानों का उत्पादन किया जाता है जो उनके आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के साथ ही साथ सरकार को भी अच्छा खासा राजस्व प्राप्त करने का एक माध्यम बन सकता था.लोगों ने कहा कि सूबे में किसी की भी सरकार रहती है,वह केवल दावा करती हैं, लेकिन किसी भी राजनेता को ग्रामीणों की समस्याओं से कोई लेनानहीं है. जिसके कारण ग्रामीणों की स्थिति दिन पर दिन दयनीय होती जा रही है और झारखंड के बनने का जो लाभ होना चाहिए था वह लोगों को नहीं मिलता नजर आ रहा है.
रिपोर्ट-सुशील कुमार