रांची(RANCHI): झारखंड की सियासी हवा गर्म हो गई है. इंडी गठबंधन ने एक बड़ी बैठक बुलाई है. बैठक पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृव में होने वाली है. जिसमें झामुमो,कांग्रेस,राजद और लेफ्ट के नेता मौजूद रहेंगे. अगर देखे तो हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने एक बाद यह पहली बैठक गठबंधन की है. इस बैठक में ही आने वाले विधानसभा चुनाव से लेकर मौजूद राजनीतिक हालत पर मंथन किया जाएगा. साथ ही लोकसभा चुनाव के परिणाम की समीक्षा की जाएगी. बैठक पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास पर बुलाई गई है.
जेल से बाहर आने के बाद पहली बैठक
दरअसल यह इंडी गठबंधन की बैठक हेमंत के मौजूदगी में कई मायनों में अहम है.पाँच महीने के बाद हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए है,और एक अलग रूप उनका दिख रहा है. ऐसे में हेमंत सोरेन अपनी नई रणनीति के बारे में सभी नेताओं के साथ चर्चा करेंगे. इस दौरान यह एक मुलाकात भी सभी नेताओं से हेमंत से होगी. अब तक पांच महीने में सरकार किस तरह से काम कर रही है. जो वादा 2019 के चुनाव में किया गया था वह कितना पूरा हो पाया है. इस पर मंथन किया जा सकता है.
रणनीति पर होगी चर्चा
अब विधानसभा चुनाव भी झारखंड में होना है. चर्चा है कि समय से पहले ही चुनाव की घोषणा की जा सकती है.चुनाव को देखते हुए हेमंत झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष के नाते इस बैठक में आगे की रणनीति के बारे में सभी के साथ चर्चा करेंगे. किस तरह से अधिक से अधिक सीट को गठबंधन के खाते में डालना है. इसे लेकर एक मजबूत रणनीति तय की जा सकती है. चुनाव को देखते हुए आने वाले दिनों में कई कार्यक्रम भी तय किए जा सकते है. हेमंत की कोशिश है कि सभी नेता ज्यादा से ज्यादा जनता के बीच मौजूद रहे.
मंत्रिमंडल विस्तार पर हो सकती है चर्चा
इसके अलावा झारखंड में मंत्री मंडल विस्तार पर भी इस बैठक में बात हो सकती है. चंपाई कैबिनेट में मंत्री मंडल विस्तार पिछले सप्ताह होना था. कई नाम की चर्चा थी. लेकिन कुछ अंदरूनी कारणों ने इसे टाल दिया गया. हो सकता है कि इस बैठक में हेमंत मंत्री मंडल विस्तार के नाम पर भी मुहर लगा दे. एक कांग्रेस और एक झामुमो से मंत्रिमंडल में शामिल होना है. अब यह जिम्मेवारी किसे दी जाएगी. इसे लेकर लगातार मंथन का दौर जारी है, लेकिन हेमंत की मौजूदगी में अब इसपर मुहर लगाई जा सकती है.
सत्ता की चाभी लेना पसंद नहीं करेंगे हेमंत
अब चर्चा यह भी है कि क्या इस बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बनाने पर भी बात होगी. लेकिन राजनीतिक जानकार का मानें तो हेमंत कभी भी ऐसा नहीं चाहेंगे कि चुनाव से पहले वह फिर से सत्ता की चाभी अपने हाथ में ले. अगर ऐसा होता है तो जनता के बीच एक गलत संदेश जा सकता है. इसे विपक्ष एक मुद्दा बना लेगा की परिवार की ही पार्टी है और आदिवासी की बात करने वाले लोग खुद एक बेदाग आदिवासी को सत्ता से बाहर कर दिया.अगर देखे तो कोई भी मंझा हुआ नेता कभी भी ऐसा नहीं करेगा.
जनता के बीच बिताएंगे समय
अब सवाल है कि हेमंत सोरेन कि आगे की रणनीति क्या है. तो हेमंत अब ज्यादा समय पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को देना चाहेंगे. चुनाव में जाना है तो साफ है कि जनता के बीच रहने से फायदा ज्यादा होने वाला है. अब हेमंत सोरेन एक कार्यक्रम का प्लान तैयार कर जनता के बीच रहना ज्यादा पसंद करेंगे.