रांची(RANCHI): खतियान जोहार यात्रा के दौरान जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में उमड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत ने यह दावा किया है कि उनकी सरकार बनते ही भाजपा के द्वारा सरकार गिराने की साजिशें शुरु हो गई, शूटरों को सरकार गिराने की सुपारी दे दी गयी. केन्द्र की सारी एजेंसियों को पीछे लगा दिया गया. यहां हम बता दें कि विपक्ष के द्वारा शूटरों की मदद से सरकार गिराने की साजिश की बात हेमंत सोरेन के द्वारा कई मौकों पर किया जाता रहा है. दरअसल सरकार बनते ही जिस प्रकार से भाजपा के द्वारा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ अवैध माइनिंग के मुद्दे को उठाया गया, और इस पूरे मामले में राजभवन की जो भूमिका रही, जिस प्रकार चुनाव आयोग की चिट्ठी एक अबूझ पहेली बन कर सामने आयी. और उसको लेकर मीडिया में जिस प्रकार की रिपोर्टिंग हुई. यह प्रचारित करने की कोशिश की गई कि हेमंत सोरेन की सरकार बस जाने ही वाली है.
राज्य की राजनीतिक हालात यहां तक पहुंच गयी कि यूपीए खेमा को अपने विधायकों को राज्य से बाहर शिफ्ट करना पड़ा. हालांकि उससे सरकार की स्थिरता पर असर नहीं पड़ा और बाद में चुनाव आयोग की चिट्ठी राज्यपाल के हाथों में कैद हो कर रह गयी. लेकिन यह माना गया कि चुनाव आयोग की चिट्ठी में ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे हेमंत सोरेन की विधायकी जाती.
माना जाता है कि हेमंत सोरेन का इशारा इन्हीं तमाम राजनीतिक घटनाक्रमों को लेकर हैं. वह बताना चाह रहे थें कि इन तमाम राजनीति झंझावातों से उबर कर वह सामने आये और सरकार की स्थिरता बनी रही. यही कारण है कि वह दावे के साथ कह रहे हैं कि उनके द्वारा विपक्ष की किसी भी साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जायेगा. भाजपा को सरकार को गिराने के लिए सात जन्म लेने पड़ेंगे.
क्या केन्द्रीय एजेंसियां ही भाजपा की शूटर है
अब सवाल यह है कि क्या सीएम हेमंत एक सुनियोजित तरीके से भाजपा और केन्द्रीय एजेंसियों पर हमला कर रहे हैं, वह जिन शूटरों की बात कर रहे हैं, वह शूटर तो कोई और नहीं, केन्द्र की एजेंसियां ही है, सरकार गठन के बाद इन केन्द्रीय एजेंसियों की गतिविधियां झारखंड में तेज हुई है, वह चाहे ईडी हो या सीबीआई, इनके द्वारा ही कई मामलों की जांच की जा रही है.
क्या है हेमंत की राजनीति
क्या माना जाय कि हेमंत सोरेन अपने खतियानी जोहार यात्रा में शूटर और सुपारी की बात कर आदिवासी-मूलवासी समूहों में अपनी जमीन को और भी मजबूत करना चाहते हैं, क्या वह “बाहरी लोगों में पेट की दर्द” को हवा देकर इन समूहों में अपनी राजनीतिक जमीन को और भी पुख्ता कर रहे हैं. क्या वह शूटर और सुपारी की बात कर हमदर्दी पाने की राजनीति कर रहे हैं? इसका कोई सीधा जवाब तो नहीं है, अपने-अपने तरीके से इसका आकलन किया जा सकता है.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार