दुमका(DUMKA):ब्रिटिश कालीन भारत मे 1890 में दुमका के हिजला गांव में मयूराक्षी नदी के तट पर हिजला मेला की शुरुआत हुई. समय के साथ इसमें जनजातीय और राजकीय शब्द जुड़ा.आज यह राजकीय जनजातीय हिजला मेला के नाम से जाना जाता है. एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेला को एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
मेला में हर तरफ आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है
इस वर्ष 16 फरवरी को राजकीय जनजातीय हिजला मेला की शुरुआत हुई, जिसका समापन 23 फरवरी को होगा. एक सप्ताह तक चलने वाले इस मेला में हर तरफ आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है. प्रतिदिन कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं.हाल के कुछ वर्षों से ट्राइबल फैशन शो का आयोजन होता है, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है.
संताली परिधान पंची - परहान में सजे संताली युवतियां ने किया रैंप पर कैट वॉक
बुधवार की शाम सम्पन्न हुए ट्राइबल फैशन शो में 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया.पारंपरिक वेश भूषा के साथ फैशन शो में आदिवासी युवक - युवतियों ने रैंप पर कैट वॉक कर फैशन का जलवा बिखेरा. संताली परिधान पंची - परहान में सजे संताली युवतियां को रैंप पर कैट वॉक करते देख लोगों ने दांतों तले अंगुलियां दबा ली.युवतियों के साथ युवकों ने भी फैशन शो में भाग लिया.फैशन शो को देखने के लिए हिजला मेला में दर्शकों की काफी भीड़ जुटी थी. फैशन शो में भाग ले रहे प्रायिभागियों की हौसलाफजाई के लिए मंच पर संताली के कई प्रसिद्ध कलाकार भी मौजूद थे.
मेले की प्रसिद्धि दुमका ही नहीं अन्य जिलों तक पहुंच चुकी है
प्रतिभा किसी परिचय का मोहताज नहीं होती जरूरत होती है, छिपी प्रतिभा को उचित मंच देकर उसे निखारने की. संताल समाज अपेक्षाकृत पिछड़ा माना जाता है. कुछ वर्षों से राजकीय जनजातीय हिजला मेला में शुरू हुए ट्राइबल फैशन शो में प्रतिभागियों की संख्या लगातार बढ़ रही है.इसकी प्रसिद्धि दुमका ही नहीं अन्य जिलों तक पहुंच चुकी है, यदि इन प्रतिभागियों को लगातार इस तरह का मंच मिले तो वो दिन दूर नहीं जब संताल समाज के युवक युवतियां राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपना जलबा बिखेरते नजर आएंगे.
रिपोर्ट-पंचम झा