रांची(RANCHI): झारखंड में दोबारा से सत्ता में आने के बाद हेमंत सोरेन अपनी सरकार को हर झारखंडी की सरकार बता रहे है. राज्यवासियों के सपनों को पूरा करने का जिम्मा सीएम हेमंत सोरेन का है. वहीं एक ओर सीएम हेमंत झारखंड की महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना की राशि देकर उन्हें सम्मान दे रहे है. तो, वहीं दूसरी तरफ राज्य में अच्छी स्कूल खोलने का भी दावा कर रहे हैं. लेकिन, इस सबके बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. बाबूलाल ने दावा किया है कि मंईयां सम्मान योजना की राशि को पूरा करने के लिए राज्य में 34 लाख छात्रों को छात्रवृत्ति से वंचित किया गया है.
झारखंड में 34 लाख दलित, आदिवासी और ओबीसी छात्रों को छात्रवृत्ति पिछले 9 महीनों से नहीं मिल है, जिससे लाखों बच्चों की पढ़ाई पर संकट मंडरा रहा है।
— Babulal Marandi (@yourBabulal) December 29, 2024
ग्रीन राशनकार्ड धारकों का अनाज 7 महीने से बकाया है, जिससे गरीब परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच रहे हैं।
राज्य सरकार मंईयां सम्मान…
छात्रों को पिछले 9 महीनों से नहीं मिल रही छात्रवृत्ति
बाबूलाल मंराडी ने अपने ट्विट में कहा कि झारखंड में 34 लाख दलित, आदिवासी और ओबीसी छात्रों को छात्रवृत्ति पिछले 9 महीनों से नहीं मिल है, जिससे लाखों बच्चों की पढ़ाई पर संकट मंडरा रहा है. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि ग्रीन राशनकार्ड धारकों का अनाज 7 महीने से बकाया है, जिससे गरीब परिवार भूखमरी के कगार पर पहुंच रहे हैं. राज्य सरकार मंईयां सम्मान योजना के भुगतान के लिए बच्चों की छात्रवृत्ति, बुजुर्गों की पेंशन और गरीबों के राशन जैसी बुनियादी सुविधाओं को छीनने पर मजबूर हो गई है.
विभागों की राशि सरेंडर करा कर विकास योजनाओं को रोका गया
इतना ही नही, बाबूलाल मंराडी हेमंत सरकार पर एक से बड़े एक गंभीर आरोप लगाते नजर आ रहे है, उन्होंने कहा कि मंईयां योजना की राशि को इकट्ठा करने के लिए विभागों की राशि सरेंडर करा कर विकास योजनाओं को रोक दिया गया है, जिससे राज्य में विकास की गति पूरी तरह ठहर गई है।
झारखंड के भविष्य पर उठ रहे गंभीर सवाल
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह मुख्यमंत्री के आर्थिक कुप्रबंधन और प्रशासनिक विफलता का प्रमाण है, जो झारखंड के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि समाज के एक वर्ग को संतुष्ट करने के लिए बाकी सारे वर्ग के अधिकारों की बलि चढ़ा देना सही नहीं है.