दुमका (DUMKA) : अमूमन विद्यार्थी जीवन में विलंब से स्कूल या कॉलेज पहुंचने वाले छात्रों को शिक्षक द्वारा क्लास रूम के बाहर खड़ा रहने की सजा सुनाई जाती है. शायद इसके पीछे मकसद यही रहती होगी कि जीवन में समय का महत्व है, इसे ध्यान रखनी चाहिए. लेकिन शायद वही छात्र जब सरकारी सेवा में आते हैं तो छात्र जीवन में मिले उस सजा के पीछे का मकसद क्या रहता है भूल जाते हैं. तभी तो अमूमन सरकारी कार्यालय विलंब से खुलता है. वजह है कर्मियों का देर से कार्यालय पहुंचना. लेकिन शुक्रवार को दुमका डीसी रविशंकर शुक्ला ने दर्जनों सरकारी कर्मियों को शायद छात्र जीवन की याद ताजी कर दी. समय के पाबंद माने जाने वाले उपायुक्त रविशंकर शुक्ला शुक्रवार सुबह भी समय पर समाहरणालय पहुंचे, लेकिन समाहरणालय की वीरानी देख उन्हें लगा कि कहीं ना कहीं कर्मी समय पर नहीं पहुंचे है. नतीजा वे विभिन्न कार्यालय का निरीक्षण करने निकल पड़े. विलंब से आने वाले समाहरणालय कर्मियों को कार्यालय में प्रवेश के बजाय बाहर खड़े रहने का निर्देश दिया गया. दर्जनों कर्मी लगभग आधे घंटे तक बाहर खड़े रहे. सूत्रों की माने तो उसके बाद उपायुक्त ने सभी कर्मियों को सभागार में बुलाया और उन्हें कर्तव्य का बोध कराया. जीवन में समय का क्या महत्व है इसकी नसीहत दी गई और आगे से समय का पाबंद बने रहने का निर्देश दिया गया. उसके बाद कर्मी अपने अपने कार्यालय में पहुंचे और कार्य में जुट गए.
रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका