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अलविदा साल 2024: झारखंड की राजनीति में कुछ चमके तो कई ने उठाया आत्मघाती कदम, अब आगे क्या!

अलविदा साल 2024:  झारखंड की राजनीति में कुछ चमके तो कई ने उठाया आत्मघाती कदम, अब आगे क्या!

धनबाद(DHANBAD):  साल "2024 झारखंड की राजनीति में कई उतार -चढ़ाव दिखा कर जा रहा है.  कई तरह का अनुभव देकर भी  जा रहा है.  कई ऐसे पॉलिटिशियन हुए, जिनकी किस्मत चमकी तो कुछ की किस्मत रूठ भी गई.  झारखंड में इस साल के पहले महीने में ही सत्ता परिवर्तन हुआ.  चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बन गए.  भाजपा पर केंद्रीय एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगता रहा.  हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी हुई.  इस गिरफ्तारी का आदिवासियों ने विरोध किया.  इस गिरफ्तारी का असर लोकसभा चुनाव पर भी देखने को मिला.  बीजेपी  लोकसभा में सभी आदिवासी रिजर्व सीट हार गई.  चलिए - जानते हैं कि किन के लिए यह साल खराब रहा और किन के लिए यह साल खुशियों से भरा रहा. 

पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव  की जमीन पर संकट 
  
बात शुरू करते हैं समीर उरांव से.  भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव के लिए यह साल ठीक नहीं रहा.   2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने सुदर्शन भगत का टिकट काटकर लोहरदगा से चुनाव लड़ाया.  लेकिन वह चुनाव हार गए.  विधानसभा चुनाव में बिशनपुर से टिकट दिया, लेकिन वह झामुमो  के चमरा लिंडा के हाथों पराजित हो गए. अब बात की जाए - कांग्रेस नेता आलमगीर आलम की.  उनके  लिए यह साल बहुत ही प्रतिकूल  रहा.  प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें टेंडर घोटाले में मई  में गिरफ्तार कर लिया.  विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उनकी पत्नी को टिकट दिया और वह बड़ी अंतर से चुनाव जीत गई. 

चंपई सोरेन  के लिए यह  साल अनुकूल  और प्रतिकुल  दोनों रहा

आगे बढ़ते है - पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन  के लिए यह  साल अनुकूल  और प्रतिकुल  दोनों रहा.  हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने  मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.  लेकिन 3 जुलाई को उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा.  विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उन्होंने भाजपा की सदस्यता  ली.  उन्होंने झामुमो  पर अपमानित करने का आरोप लगाया.  विधानसभा चुनाव में उन्हें सरायकेला सीट से जीत मिली, लेकिन भाजपा को वह  फायदा नहीं दिला सके.  उनके बेटे भी चुनाव हार गए.  गीता कोड़ा  की बात की जाए तो लोकसभा चुनाव के पहले गीता कोड़ा ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी के साथ हो गई.   बीजेपी में आने के बाद से ही उनकी किस्मत रूठने लगी और लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव में भी हार गई.  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के लिए भी यह साल ठीक नहीं रहा.  बीजेपी की सदस्यता ले  ली ,लेकिन उनका यह कदम आत्मघाती साबित हुआ .  वह लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा का चुनाव भी हार गई.  

जयराम महतो का धमाकेदार उदय  हुआ

अब जिनकी किस्मत चमकी उनकी बात की जाए.  2024  में झारखंड के युवा नेता जयराम महतो का धमाकेदार उदय  हुआ.  यूं तो लोकसभा चुनाव में ही उन्होंने अपने को स्थापित कर लिया था.  लेकिन उनके किसी उम्मीदवार को जीत नहीं मिली थी.  विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ एक ही सीट मिली, लेकिन बीजेपी और आजसू  के गठबंधन को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया.  जय राम  महतो डुमरी  से विधायक चुन लिए गए है.  मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन, हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद मार्च 2024 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा.  गिरिडीह के झंडा मैदान में उन्होंने पहली बार सभा को संबोधित करते हुए भावुक हो गई.  इसके बाद लोकसभा चुनाव की बारी आई तो पूरे इंडिया गठबंधन के साथ झामुमो  का प्रचार किया.  इसका फायदा हुआ और इंडिया गठबंधन ने बीजेपी से तीन सीट  छीन ली.  कल्पना सोरेन गिरिडीह के गांडेय  विधानसभा उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची. 

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को  भी खट्टा मीठा अनुभव मिला 
 
2024 मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को  भी खट्टा मीठा अनुभव देकर जा रहा है.  31 जनवरी की रात को ईडी   उन्हें गिरफ्तार कर लेती है.  5 महीने जेल में रहने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी.  कहा कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है.  इसके बाद हेमंत सोरेन ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली.  विधानसभा चुनाव में उन्होंने इंडिया गठबंधन को एकजुट रखा और चुनाव लड़ा.  इंडिया गठबंधन प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की.  साथ ही साथ झामुमो  सबसे अधिक सीट लाकर झारखंड में अपना दबदबा कायम कर लिया.  अब तो  अगल-बगल के  राज्यों पर भी झामुमो की नजर है.  बिहार में कुल 12 सीटों पर दावा करने की तैयारी पार्टी कर रही है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो 

Published at:31 Dec 2024 05:59 PM (IST)
Tags:DhanbadJharkhandRanchiRajnityKismat
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