गोड्डा (GODDA) : आए दिन सरकारी अस्पताल और सरकारी विद्यालयों की बदहाली की खबर समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती है. आलम यह है कि आम लोगों का भरोशा सरकार के इन संस्थानों से उठने लगा है. तभी तो अपना पेट काटकर भी लोग अपने बच्चों का दाखिला निजी विद्यालयों में कराते हैं और बीमार पड़ने पर निजी चिकित्सालय की तरफ रुख करते हैं. यही वजह है कि आज शहर से लेकर गांव तक निजी विद्यालय और नर्सिंग होम आपको मिल जाएंगे. लेकिन इन सबके बीच गोड्डा डीसी जीशान कमर ने आज जिले ही नहीं बल्कि राज्य और देश के समक्ष एक नायाब उदाहरण पेश किया है.
डीसी ने पत्नी का सदर अस्पताल में कराया प्रसव
गोड्डा डीसी जीशान कमर ने अपनी पत्नी का प्रसव सदर अस्पताल में करवाया. एक आईएएस ने यह हिम्मत तब दिखायी जब गोड्डा सदर अस्पताल में ना तो एक भी महिला डॉक्टर है और ना ही गायनो. इसके लिए सदर अस्पताल में पूर्व में काम कर चुकी एक महिला डॉक्टर के साथ एक निजी नर्सिंग होम की महिला डॉक्टर को बुलाया गया. ऑपरेशन के बाद डीसी की पत्नी ने एक बेटी को जन्म दिया. नवजात को फिलहाल निरीक्षण के लिए एसएनसीयू में रखा गया है.
डीसी ने सरकारी अस्पताल पर भरोसा करने की अपील
बेटी के जन्म पर खुशी जाहिर करते हुए डीसी जीशान कमर ने कहा कि शुरू से ही सदर अस्पताल में प्रसव करवाने का मन बनाया था. सब कुछ अच्छा से हुआ इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मी बधाई के पात्र हैं. डीसी ने आम लोगों से सरकारी अस्पताल पर भरोसा करने की अपील की. कहा कि यहां पूरी व्यवस्था, चिकित्सक की कमी से सरकार को भी अवगत कराया गया है. बहुत जल्द वो भी पूरी हो जाएगी.
सिविल सर्जन ने की सफल ऑपरेशन की पुष्टि
सिविल सर्जन डॉ अनंत कुमार झा ने उपयुक्त की पत्नी के सफल ऑपरेशन की पुष्टि करते हुए बताया कि हेल्दी बेबी के रूप में जन्म हुआ है. फिलहाल दोनों स्वस्थ्य है और बेबी को ऑब्जरवेशन के लिए एसएनसीयू में रखा गया है. उन्होंने कहा कि यहां सभी सुविधाएं मौजूद थी. मगर चिकित्सक नहीं थे. जो पहले थे उनका भी हाल ही में तबादला हो गया है. जिसकी वजह से आग्रह पर बाहर से चिकित्सकों को बुलाना पड़ा.
संसाधन के साथ-साथ कार्यशैली में भी की जरूरत सुधार
यह सही है कि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के नाम पर पानी की तरह रुपया बहाती है. हाल के वर्षों में संथाल परगना प्रमंडल में स्वास्थ्य सुविधा में बढ़ोतरी भी हुई है. देवघर में एम्स खुला तो दुमका में मेडिकल कॉलेज. इसके बाबजूद गोड्डा जैसे जिले में एक महिला चिकित्सक का नहीं होना शर्म की बात नहीं तो और क्या है? डीसी साहेब भले ही सदर अस्पताल में अपनी पत्नी का प्रसव करवा कर जिले के लोगों को संदेश दे रहे हों लेकिन डीसी की पत्नी के नाम पर स्वास्थ्य विभाग ने जो तत्परता दिखाई क्या एक आम मरीज के लिए उतना तत्पर कभी नजर आती है. इसका जबाब भी ढूंढना पड़ेगा. संसाधन के साथ-साथ कार्यशैली में भी सुधार की जरूरत है और इसके लिए जनप्रतिनिधियों को भी आगे आना होगा.
रिपोर्ट. पंचम झा