दुमका(DUMKA): झारखंड विधान सभा चुनाव की रणभेरी कभी भी बज सकती है. तमाम राजनीतिक दलों की सक्रियता पूरे प्रदेश में बढ़ी हुई है. एक तरफ नित नई घोषणाएं की जा रही है तो दूसरी तरफ वादों का पिटारा खोलकर जनता के समक्ष रखा जा रहा है. इस सबके बीच आज हम बात करेंगे गोड्डा विधानसभा क्षेत्र का, जहां अलग झारखंड राज्य के साथ ही भाजपा और राजद में मुकाबला होता रहा है. इस बार के चुनाव में कमल खिलेगा या लालटेन जलेगी या फिर टाइगर जयराम महतो बिगाड़ेंगे समीकरण, मुकाबला रोचक होगा.
भाजपा और राजद के बीच होती है टक्कर
संयुक्त बिहार में 2000 में हुए चुनाव में गोड्डा सीट पर राजद प्रत्याशी संजय प्रसाद यादव की जीत हुई.तब से यहां की राजनीति भाजपा और राजद के इर्द गिर्द घूमती रही है. गठबंधन नहीं होने की स्थिति में झामुमो द्वारा मुकाबला त्रिकोणीय बनाने का प्रयास जरूर हुआ, लेकिन सफलता नहीं मिली. 2005 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मनोहर टेकरीवाल ने राजद प्रत्याशी संजय यादव को पराजित किया, लेकिन 2009 के चुनाव में एक बार फिर इस सीट पर राजद के संजय प्रसाद यादव ने कब्जा जमाया.2014 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रघुनंदन मंडल की जीत हुई, लेकिन उनकी असामयिक निधन के बाद 2016 में हुए उपचुनाव में रघुनंदन मंडल के पुत्र अमित मंडल ने जीत दर्ज की.2019 के चुनाव में भी अमित मंडल ने जीत को बरकरार रखा. हाल में सम्पन्न लोक सभा चुनाव में गोड्डा लोक सभा सीट से भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे ने जीत का चौका लगाया. उनकी जीत में गोड्डा विधानसभा की भूमिका अहम रही. गोड्डा विधानसभा क्षेत्र में निशिकांत दुबे ने प्रदीप यादव पर लगभग 17 हजार वोट की बढ़त मिली.इससे आगामी विधानसभा चुनाव में उस सीट पर भाजपा मनोवैज्ञानिक बढ़त के साथ मैदान में उतरेगी.
कांग्रेस औऱ झामुमो का भी इस सीट पर रहा है दबदबा
अलग झारखंड राज्य बनने के बाद यहां की राजनीति भले ही भाजपा और राजद के इर्द गिर्द घूम रही है, लेकिन इतिहास गवाह है कि इस सीट पर कभी कांग्रेस और झामुमो का भी दबदबा रहा है.1952 से 2019 तक एक उपचुनाव सहित विधानसभा के 17 चुनाव हुए.जिसमें कांग्रेस ने 5 बार, भाजपा ने 4 बार, झामुमो, राजद औऱ झारखंड पार्टी ने दो-दो बार जबकि जनता पार्टी व संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने एक-एक बार इस सीट पर जीत दर्ज की.
भाजपा से अमित मंडल तो इंडिया गठबंधन से संजय यादव की है प्रबल दावेदारी
आगामी विधान सभा चुनाव के मद्देनजर तमाम पार्टी प्रत्याशी के चयन में हर समीकरण को ध्यान में रख रही है. खासकर भाजपा में प्रत्येक सीट पर कई दावेदार हैं, इसके बाबजूद गोड्डा सीट पर अमित मंडल की दावेदारी प्रबल मानी जा रही है.2016 में विरासत में मिली जीत के बाद 2019 में मिली जीत ने साबित किया कि अमित मंडल राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं. तीसरी पीढ़ी है जो गोड्डा विधानसभा से विधायक चुने गए है.1985 और 1990 में अमित के दादा सुमृत मंडल झामुमो के टिकट पर जीत दर्ज कर विधायक बने तो 2014 में अमित के पिता रघुनंदन मंडल भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी. वहीं इंडिया गठबंधन के तहत इस सीट पर राजद के दावा है और राजद प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक संजय प्रसाद यादव की दावेदारी है.
छुपा रुस्तम साबित हो सकते है जयराम के प्रत्याशी परिमल ठाकुर
हाल के समय में जयराम महतो झारखंड की राजनीति का उदीयमान तारा बन कर उभरा है.जनहित के मुद्दे को लेकर आवाज बुलंद करने वाले जयराम महतो टाइगर कहलाने लगे.लोकसभा चुनाव में उसने साबित भी किया कि टाइगर को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. कुछ महीनों से गोड्डा जिला में लगातार उनकी सक्रियता देखने को मिल रही थी, जिससे कयास लगाए जा रहे थे कि गोड्डा सीट से झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा अपना प्रत्याशी दे सकता है. JLKM की दूसरी लिस्ट जारी होते ही इस पर विराम लग गया. जयराम ने परिमल ठाकुर को प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया.बताते चलें कि परिमल ठाकुर भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में राजनीतिक पारी की शुरुवात की.कभी सांसद निशिकांत दुबे के करीबी समझे जाते थे.2014 कि चुनाव के वक्त टिकट के दावेदार थे. टिकट रघुनंदन मंडल को मिला. गोड्डा जिला में भाजपा के वर्तमान राजनीतिक हालात को देख टिकट मिलने की संभावना छीन होता देख जयराम से जा मिले. टाइगर ने प्रत्याशी बना दिया. गोड्डा विधान सभा मे जातिगत समीकरण को देखें तो ब्राह्मण और कुड़मी मतदाता अच्छी खासी है. परिमल ब्राह्मण होने के साथ साथ सौम्य स्वभाव के हैं. क्षेत्र में उनकी पकड़ है. राज्य के युवाओं का रुझान जयराम महतो के प्रति बढ़ा है. इस स्थिति में गोड्डा विधानसभा का चुनाव त्रिकोणीय हो सकता है और परिमल ठाकुर छुपा रुस्तम साबित हो सकते है.
रिपोर्ट-पंचम झा