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जहां आस्था जमती है, वहीं भगवान बसते हैं, उदाहरण दिखा धनबाद के बरवाअड्डा में, जानिए कैसे हो रही थी पूजा

जहां आस्था जमती है, वहीं भगवान बसते हैं, उदाहरण दिखा धनबाद के बरवाअड्डा में, जानिए कैसे हो रही थी पूजा

धनबाद(DHANBAD): जहां आस्था जमती है, वहीं भगवान बसते हैं. इसका उदाहरण सोमवार को धनबाद के बरवाअड्डा के बड़ाजमुआ में दिखा. हजारों-हजार की भीड़ जुटी हुई थी और खेलाई चंडी मेला में शामिल हुई थी. खेलाई चंडी को सती अथवा दुर्गा का स्वरुप लोग मानते हैं. लोगों की मान्यता है कि यहां आकर, जो भी मांगा जाता है, जैसे शरीर की बीमारी, परिवार का दुख-तकलीफ, चर्म रोग की बीमारी के अतिरिक्त तमाम शारीरिक, मानसिक तकलीफ, सब के सब दूर हो जाते हैं. 

पूजा करने की प्रक्रिया भी बहुत सरल और सहज है

पूजा करने की प्रक्रिया भी बहुत सरल और सहज है. तालाब से लोग मिट्टी काटते हैं, फिर उसे माथे पर लेकर बगल में रख देते हैं. धूप, चंदन चढ़ाते हैं, परिक्रमा करते हैं और कहते हैं कि मेरी अमुक मन्नत पूरी हो जाएगी तो हम फिर आएंगे. गोलकी चढ़ाएंगे, सोमवार को जो श्रद्धालु दिखे, उनमें कुछ तो मन्नत मांगने आए थे और कुछ मन्नत पूरी होने के बाद चढ़ावा चढ़ाने पहुंचे थे. लोगों की मानें तो खेलाई चंडी पूजा सैकड़ों सालों  से बड़ा जमुआ में होती आ रही है. कुछ लोग तो ऐसे मिले, जिन्होंने गवाही दी कि 50 साल से तो वह खुद इस पूजा को देख रहे हैं और शामिल हो रहे हैं. इस पूजा में शामिल होने के लिए सिर्फ धनबाद ही नहीं बल्कि झारखंड के दूसरे जिलों से भी लोग आते हैं.

1932 खतियानी आंदोलन के नेता जयराम महतो भी पहुंचे

1932 खतियानी आंदोलन के नेता जयराम महतो भी इस पूजा में शामिल होने आए थे. वह भी तालाब की मिट्टी को परिक्रमा करने के बाद ले जाकर सही स्थान पर रख दिए. हो सकता है उनकी भी कोई मान्यता हो, जिसके लिए वह पूजा में शामिल हुए. झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सह धनबाद के वरीय कांग्रेस नेता अशोक कुमार सिंह ने भी इस पूजा में भागीदारी निभाई, उन्होंने कहा कि पिछले 50 साल से तो पूजा का वह खुद ही गवाह हैं. उन्होंने कहा कि यहां दो तरह के लोग आते हैं.

एक तो मन्नत मांगने आते हैं और दूसरे मन्नत पूरी होने पर संकल्प पूरा करते है

एक तो मन्नत मांगने आते हैं और दूसरे मन्नत पूरी होने पर संकल्प पूरा करने के लिए पहुंचते हैं. इसके अलावा कई लोगों ने अपनी बातें कही. सब ने बड़े उत्साह से कहा कि वह भी इस पूजा में शामिल हुए हैं. कईयों ने तो इस बात की पुष्टि की कि उनकी मन्नते पूरी हुई है और इसलिए वह पूजा स्थान पर पहुंचे हैं. इस पूजा में श्रद्धालु तालाब की मिट्टी उठाते हैं, उसे सर पर रखते हैं, परिक्रमा करते हैं और फिर उसे ले जाकर सही स्थान पर रख देते हैं. हर साल मकर संक्रांति के अगले दिन यह पूजा आयोजित होती है. लोगों में इस पूजा को लेकर अलग ही उत्साह होता है. आज की भीड़ यह बता रही थी कि क्षेत्र के लोगों में खेलाई चंडी मेला का कितना उत्साह और उमंग होता है. क्या महिला, क्या पुरुष, क्या बुजुर्ग, क्या बच्चे सभी उत्साह के साथ इस पूजा में शामिल दिख रहे थे.

रिपोर्ट: संतोष कुमार धनबाद

Published at:16 Jan 2023 04:30 PM (IST)
Tags:God resides where faithDhanbad Barwadda worship was being doneDHANBAD CHARNDI DHANBAD PEPLE JAIRAM MAHTO
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