टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- भगवान के दर्शन करने के लिए लोग मंदिर जाते हैं , अपनी श्रद्धा और फरीयाद लेकर मन्नक मांगते हैं. सारा जग तो उन्हीं का बनाया हुआ है. लेकिन, क्या आपको मालूम है कि झारखंड में एक भगवान थाने में कैद हैं. वो भी एक दिन और दो दिन के लिए नहीं है. बल्कि 37 साल यानि साढ़े तीन दशक के ज्यादा वक्त से बंद है. जिन्हें छुड़ाने के लिए पुजारी से लेकर भक्त कोशिशों में लगे हुए हैं. लेकिन, कामयाबी हाथ नहीं लगी है. बस उनके आने का इंतजार ही हो रहा है.
विश्रामपुर थाने में कैद भगवान
भगवान की मूर्तिया को कैद करने का मामला झारखंड के पलामू जिले के विश्रामपुर थाने की है . सभी को इंतजार इसे लेकर है कि किसी तरह भगवान की रिहाई हो और विश्रामपुर के एतिहासिक पंचमुखी मंदिर में भक्ति भाव से स्थापित किया जाए. लोगों के अरमान है कि जिस तरह अयोध्या में श्री राम लला की मूर्ति विराजकर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी की जा रही है. ठीक इसी तरह यहां भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन हो.
मूर्ति चोरी की तो सभी की हुई मौत
थाने में मंदिर की मूर्ति पहुंचने के पीछे कहानी ये है कि पंचमुखी मंदिर से घासीदाग गांव निवासी मुन्नी भुइयां ने इसे चोरी कर लिया था. आरोप था कि पलामू जिले के ही किसी व्यवसायी के इशारे पर अपने दो साथियों के साथ मिलकर मूर्तियां चोरी की थी .
लेकिन, वक्त के साथ ही मुनी भुइयां समेत दोनों आरोपितों की मौत हो गयी थी. वक्त से पहले मौत को उनके परिवावालों ने भगवान का श्राप समझा और डर से चोरी की गई मूर्तियों विश्रामपुर पुलिस के हवाले कर दिया था .
थाने में कोई रिकॉर्ड नहीं
मूर्तियां तो थाने में आ गयी, लेकिन, इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है. जिसमे जिक्र हो की विश्रामपुर थाने मे ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर की चोरी की गई मूर्तियां बरामदगी के बाद मालखाने में रखी गई है. इसे लेकर लगातार कोशिशे की गई, लेकिन, रिकॉर्डस के नहीं रहने के चलते भगवान को छुड़ा नहीं सके . मूर्तियों को मुक्त कराने के लेकर पुजारी पंडित अच्युतानंद पांडेय बताते है कि 37 साल से न्यायालय में यह साबित करना पड़ रहा है कि इस मंदिर के खानदारी पुजारी है औऱ भगवान की तीनों मूर्तियां पंचमुखी मंदिर की है. उन्होंने बताया कि कई बार सबूत भी पेश किया जा चुका है. लेकिन, मामला पुराना होने के चलते अभिलेख मिलने में कठिनाई हो रही है. जिसके चलते मूर्तियों को मुक्त नहीं कराया जा सका . आज भी इसे लेकर जद्दोजहद जारी है. बताया जाता है कि विश्रामपुर की ऐतिहासिक पंचमुखी मंदिर में स्थापित भगवान की मूर्तियां दो-दो बार चोरी हुईं हैं. सभी प्रतिमाएं दुर्लभ और बेशकीमती अष्टधातु से बनीं हुई है.