गढ़वा (GARHWA): एक चर्चित कहावत है प्यास जोरो की लगी थी पीते तो मर जाते और ना पीते तो मर जाते. यह कहावत आज चरितार्थ हो रही है गढ़वा जिले मे. बता दें कि गढ़वा जिला मुख्यालय से महज दस किलोमीटर स्थित प्रतापपुर पंचायत का मौनाहा टोला. जहां अबतक दर्जनों मौते हो चुकी है और वजह है सिर्फ जहरीला पानी. दरअसल इस गांव को शुद्ध पानी देने के लिए करोडो रुपय खर्च कर टंकी तो बनाए गए लेकिन आज इस टंकी के पानी के लिए ग्रामीण तरस रहे है.
बता दें कि गढ़वा जिला मुख्यालय का यह है प्रतापपुर पंचायत का मौनाहा टोला. एक समय यह गांव राष्ट्रीय मीडिया में छाया हुआ था. वजह था ग्रामीणों का असमय काल के गाल मे समाना. इस गांव के पानी मे इतनी फ्लोराइड है की तीस और 40 वर्ष का जवान भी बुढ़ा हो जाता है और 50 आते-आते उसकी मृत्यु हो जाति है. पानी मे O से 1 की मात्रा तक नार्मल माना जाता है. लेकिन इस गांव के पानी में फ्लोराइड 7.86 है. जो साफ झलकता है की यह पानी पानी नही बल्कि जहर है. इस गांव मे कौन अधिकारी नहीं आया, कौन मानवाधिकार नहीं आया लेकिन आज हालात जस का तस है. सरकार ने इस गाँव मे शुद्ध पानी देने के लिए लगभग 20 करोड़ की लागत से पानी टंकी बनाया. लेकिन यह पानी टंकी ग्रामीणों को तरसा रही है क्योंकि कभी चार तो कभी दस तो कभी 15 दिनों मे ग्रामीणों को पानी नशिब नहीं हो रहा है. जबकि इन्हें पानी की आवश्यकता हर मिनट की है नतीजा यह है की इन्हे आज भी जहरीला पानी पीना पड़ता है. इस गांव के ग्रामीणों का शरीर भी मानो कांच की हो गई है क्योंकि थोड़ा सा चोट लगने पर हड्डी शीशे की तरह टूट जाति है.
ग्रामीणों ने कहा की क्या करें इतना भीषण गर्मी पड़ रहा है पानी के चलते कंठ सुख रहा है. जानकरी है की पानी जहरीला है फिर भी पानी पीना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि पानी टंकी बना है लेकिन पानी कभी मिता है. तो कभी 15 दिनों के बाद पानी नहीं मिलता है. ज़ब जानकरी मिला की मीडिया वाले आ रहे है आखिर कबतक ऐसा चलेगा. अब हमलोगो को स्थायी समाधान चाहिए और हमलोग कितनो को खोए.