धनबाद(DHANBAD) | धनबाद को अंतर्राष्ट्रीय बस पड़ाव का सपना दिखाया गया था. बड़ी-बड़ी बातें हुई थी, वाहन किधर से आएंगे, कहां रुकेंगे और किधर जाएंगे, इन सबों का खाका खींच लिया गया था. लेकिन धनबाद का दुर्भाग्य तो कहीं भी कागज के पहुंचने से पहले ही पहुंच जाता है. यह बस स्टैंड कोई पहला मामला नहीं है, जो सपना ही रह गया है. लगता है कि आगे भी सपना ही रहेगा. अभी जो धनबाद शहर के बीचो -बीच बरटांड़ बस पड़ाव है, वहां अगर एक गिलास पानी खोजने आप निकलेंगे तो आपको बोतलबंद पानी से ही प्यास बुझाना पड़ेगा. 2021 में धनबाद नगर निगम को परिवहन विभाग ने इसे हैंडोवर कर दिया था. 2 साल बीत गए लेकिन सुविधाएं नदारद है.
नगर निगम एक साल में लगभग साठ लाख रुपये बस स्टैंड से वसूली करता है. लेकिन पीने के पानी तक की सुविधा नहीं है. बस स्टैंड धनबाद का सेंटर पॉइंट है. यहां रोज 150 से अधिक बसें आती -जाती है. बिहार- बंगाल के साथ-साथ उड़ीसा की भी बसें यहां से खुलती है. एक अनुमान के अनुसार हर रोज 6000 यात्री यहां पहुंचते है. लेकिन सुविधाएं नहीं होना सबको को परेशानी में डालती है. कुछ दिन पहले एक RO लगाया गया था लेकिन खराब हो गया. इसकी शिकायत भी हुई लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला. बस स्टैंड में पानी बेचने वालों की चांदी ही चांदी है, क्योंकि तापमान अभी 44 डिग्री के आसपास चल रहा है. ऐसे में कंठ सुखना बहुत ही स्वभाविक है.
टीस मारता है हर आने -जाने वालों को
बस स्टैंड में सुविधाओं का नहीं होना, हर आने जाने वालों को टीस मारती है. देखना है की सुविधाएं बहाल होती हैं अथवा पुराने ढर्रे चलती रहती है. इस बस स्टैंड की धनबाद स्टेशन परिसर से शिफ्टिंग की भी बड़ी रोचक कहानी है. जिस तरह आज धनबाद में गैंग सक्रिय हैं, उसी तरह से कई गैंग धनबाद स्टेशन के बस स्टैंड में सक्रिय थे. सबको उनके हिस्से की रंगदारी जाती थी. कई प्रयास के बाद भी यह रंगदार बस स्टैंड को शिफ्ट नहीं होना देना चाहते थे. उस समय के तत्कालीन उपायुक्त मदन मोहन झा ने यह बीड़ा उठाया और खुद खड़े होकर बस स्टैंड को धनबाद रेलवे स्टेशन से शिफ्ट कराया. उस समय कई व्यवस्थाएं भी हुई थी. पटना के बस स्टैंड की तर्ज पर टैक्स लेने की व्यवस्था शुरू हुई थी. लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवस्था कमजोर पड़ती गई और आज तो वहां पहुंचने वाले यात्री बूंद- बूंद पानी को तरसते है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो