धनबाद(DHANBAD): पूरे देश में अभी वंदे भारत ट्रेन का शोर है. लेकिन धनबाद को इस ट्रेन से अभी तक वंचित रखा गया है. अगर आगे दबाव नहीं बढ़ाया गया तो हो सकता है, हावड़ा -बनारस मार्ग पर चलने वाली वंदे भारत ट्रेन से भी धनबाद वंचित रह जाए. धनबाद जिले की बात करें तो यहां से 6 विधायक हैं, गिरिडीह को मिला दिया जाए तो दो सांसद होते है. ऐसे में यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यहां के जनप्रतिनिधि इस उपेक्षा को "प्रतिष्ठामूलक" बनाकर रेलवे को विवश कर देंगे कि हावड़ा -बनारस वंदे भारत ट्रेन धनबाद होकर ही चले. धनबाद के लोगों को अब इसी पर उम्मीद भी है. वैसे, धनबाद के लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि रांची से बंगाल की राजधानी के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस धनबाद होकर चल सकती है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. धनबाद स्टेशन से यह ट्रेन फिसल गई. यह ट्रेन धनबाद की बजाय जमशेदपुर होकर चल रही है. यानी जमशेदपुर ने बाजी मार ली और धनबाद पिछड़ गया.
टाइम टेबल में किये जाते रहे बदलाव
वैसे 7 जुलाई'2023 को सिकंदराबाद में हुई टाइम टेबल कमेटी की बैठक में वंदे भारत एक्सप्रेस को सुबह 5:20 बजे रांची से चलाने का समय निर्धारित किया गया था. यह ट्रेन दोपहर 11:55 बजे हावड़ा पहुंचने वाली थी. वापसी में हावड़ा से ट्रेन को दोपहर 3:30 बजे चलाने का निर्णय लिया गया था. यह ट्रेन रात 10:10 पर रांची पहुंचने वाली थी. जबकि इससे पहले हावड़ा से ट्रेन को सुबह 8 बजे चलाने का निर्णय हुआ था ,जो धनबाद होते हुए दोपहर 12:55 बजे रांची पहुंचने वाली थी. वापसी में ट्रेन को दोपहर 3:2 0 बजे रांची से रवाना कर रात 8:10 पर हावड़ा पहुंचाने की प्लानिंग थी. दोनों प्लानिंग से अलग रेलवे ने नई टाइम टेबल जारी करते हुए इसे जमशेदपुर होकर चलाने की हरी झंडी दे दी. अब धनबाद के लोगों को हावड़ा- बनारस मार्ग पर चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस पर ही उम्मीद है. लेकिन इसके लिए धनबाद के जन प्रतिनिधियों को सजग, चौकस और "दबावकरी" बनना होगा. देखना है वंदे भारत धनबाद की तकदीर में है अथवा नहीं. वैसे भी रेलवे हो या केंद्र अथवा राज्य की सरकारें , धनबाद को हमेशा दोयम दर्जे में रखा जाता है. जबकि यही धनबाद है, जहां से राजनीति से लेकर सरकारों को भी खाद -पानी मिलता है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो